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बीकानेर,सरसों का सीजन जोर पकड़ने के साथ ही मंडी टैक्स और जीएसटी चोरी कर सरसों खरीद का खेल शुरू हो गया है।

अभी मंडी में तीस से पैंतीस हजार थैलों के करीब आवक हो रही हैं। जबकि हजारों बोरी रोजाना सरसों की किसान से उचंती खरीद कर टैक्स चोरी की जा रही है। केन्द्र सरकार के कृषि कानूनों के चलते पिछले साल मंडी से बाहर कृषि जिंस खरीद पर कोई पाबंदी नहीं थी। ऐसे में जीएसटी विभाग, मंडी समिति विजिलेंस व अन्य एजेंसियां सक्रिय नहीं रहीं। अब कृषि कानून रद्द होने के बाद पुरानी मंडी व्यवस्था लागू हो गई है। ऐसे में कोई भी फर्म किसान से मंडी टैक्स और जीएसटी चुकाकर ही कृषि जिस खरीद सकती है। सरसों की खरीद करने पर व्यापारी, उद्योगपति और मिल मालिक को पांच प्रतिशत जीएसटी और एक प्रतिशत मंडी टैक्स सरकार को देना पड़ता है। मंडी में अभी 6 हजार रुपए से 6450 रुपए प्रति क्विंटल सरसों बिक रही है। इस हिसाब से 1 क्विंटल पर करीब साढ़े तीन सौ से चार सौ रुपए टैक्स बनाता है। इस तरह किसानों से सीधे माल खरीदकर और मंडी में माल खरीदकर बिना बिल के ट्रकों में लादकर बाहर निकाल कर लाखों रुपए का टैक्स चोरी कर लिया जाता है।

स्थानीय मंडियों और किसानों से टैक्स चोरी कर सरसों की खरीद करने वालों की पूरी चेन बनी हुई है। कुछ सरसों तेल मिलों में खपा दी जाती है। कुछ सरसों अन्य राज्यों को भेजी जाती है। सबसे ज्यादा हरियाणा के चरखीदादरी में सरसों जा रही है। ट्रांसपोर्टर टैक्स चोरी की सरसों को सुरक्षित गतंव्य तक पहुंचाने के लिए 25 से 30 रुपए अतिरिक्त लेते हैं। राज्य की सीमा पार पार करने और रास्ते में विजिलेंस की चेक पोस्ट पर ट्रांसपोर्टरों की सेटिंग रहती है। इस तरह से करोड़ों का अवैध करोबार होता है। इसके साथ एक ही ई-बिल पर कई ट्रक माल भी कराया जाता है।

कृषि उपज मंडी समिति में आने वाले कृषि जिंस पर मंडी शुल्क वसूलने से सरकार को राजस्व की प्राप्ति होती है। साथ ही जीएसटी से भी सरकार को पैसा मिलता है। कोरोना काल में मंडी टैक्स के साथ राज्य सरकार ने सेस लगाए थे। जिन्हें अब एक अप्रैल से हटा दिया गया है। दो साल पहले की तुलना में इस साल रबी के सीजन में मंडी समितियों के मंडी टैक्स कलेक्शन में कमी आई है।

केन्द्र सरकार ने सरसों की स्टॉक सीमा की मात्रा में वृद्धि करते हुए स्टॉक सीमा प्रभावी रखने की अवधि 31 दिसम्बर तक बढ़ा दी है। केन्द्रीय खाद्य आपूर्ति एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली मंत्रालय की ओर से 30 मार्च को प्रकाशित गजट नोटिफिकेशन में इसके निर्देश दिए गए हैं। नए नोटिफिकेशन में खाद्य तेल के खुदरा को 30 क्विटल और होलसेल को 500 क्विंटल स्टॉक की सीमा कर दी है। बिग चेन होलसेलर को 1000 क्विंटल की छूट दी है। साथ ही 90 दिन उत्पादन क्षमता की सीमा तय की है। इसी तरह खाद्य तेल सीड के रिटेलर के लिए 100 क्विटल और होलसेलर के लिए 2000 क्विंटल की सीमा तय की है।

पहले केन्द्र सरकार ने सरसों पर स्टॉक सीमा के लिए तय मापदंड में खुदरा के लिए अधिकतम अपने उत्पादन का या बिक्री का 30 दिन की आवश्यकता के बराबर सरसों स्टॉक रखने की इजाजत दी थी। मिल मालिकों अथवा होलसेलर के लिए यह सीमा 45 दिन में फैक्ट्री में आवश्यक कच्चे व पक्के माल के बराबर थी। अब 1 अप्रेल यानी शुक्रवार से नई स्टॉक सीमा प्रभावी हो गई है।

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