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जयपुर प्रदेश पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। राजस्थान सरकार पर कर्ज का आंकड़ा 4 लाख 72 हजार करोड़ रुपए को पार कर चुका है। हर राजस्थानी 59 हजार रुपए का कर्ज हो चुका है। पिछले साल भर में हर व्यक्ति पर 7000 रुपए का कर्ज बढ़ चुका है। वर्ष हर राजस्थानी पर 51,888 रुपए का कर्ज था, जो इस साल 31 मार्च तक 59,261 रुपए हो चुका है। वित्त विभाग के आधिकारिक डेटा के अनुसार गहलोत सरकार 2019 से लेकर सवा तीन साल में 1 लाख 61 हजार करोड़ का कर्ज ले चुकी है। वसुंधरा राजे को अगुवाई वाली बीजेपी सरकार ने पांच साल में 1 लाख हजार 81 हजार करोड़ का कर्ज लिया था। महलोत सरकार सवा तीन साल में ही कर्ज लेने के मामले में उस आंकड़े के नजदीक पहुंच गई है। राज्य सरकार हर साल 28 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का ब्याज चुका रही है।

कोरोना काल में बढ़ा कर्ज

कोरोना की दो लहर में राजस्थान सरकार ने 70 हजार करोड़ के आसपास का कर्ज लिया। सरकार का तर्क है कि कोरोना काल में सरकार की इनकम कम हुई और उसे ज्यादा कर्ज लेना पड़ा। कर्ज भार बढ़ने का इसे बड़ा कारण बताया गया। वहीं सरकार की लोक लुभावन घोषणाओं को भी कर्ज बढ़ने का प्रमुख कारण माना जा रहा है। बीजेपी राज में कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग का लाभ देने और किसान कर्ज माफी की घोषणा से सरकार पर एक्सट्रा भार आया। इस वजह से भी कर्ज बढ़ा राजस्थान सरकार हर साल कर्ज पर 28255 करोड़ रुपए ब्याज चुका रही है। सरकार 17 महीने में जितना ब्याज चुका रही है। वह 13 जिलों के लिए इंस्टर्न कैनाल प्रोजेक्ट की लागत के बराबर है। ईस्टर्न कैनाल 47 हजार करोड़ का प्रोजेक्ट है 2018 में सरकार हर साल 21,490 करोड़ रुपए व्याज चुका रही थी।

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