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बीकानेर,राष्ट्रीय कवि चौपाल 545 वीं कड़ी *साहित्य बिच्छोह दुखदाई,* को समर्पित रही कार्यक्रम अध्यक्ष इंदिरा व्यास, सरदार अली परिहार, डॉ कृष्ण लाल विश्नोई, नरसिंह भाटी आदि मंच विराजित हुए, कार्यक्रम शुभारम्भ करते हुए स्व बौद्धिक में रामेश्वर साधक ने बताया कि साहित्य मुनि,सरस्वती पुत्र भवानी शंकर व्यास विनोद स्वयं में शोध परक साहित्य-साहित्यकार थे, उनके साहित्य समर्पित लेखन, नवाचार, कालजयी से हृदयावस्थित हो गये…*दिव्य साहित्यकार* के प्रति साहित्यकारों का सदा गुणगान होगा *विनोद-स्मृति* में साहित्य आदर्शों का मय काव्य अनुष्ठान होगा,.. कार्यक्रम अध्यक्ष इंदिरा व्यास ने बताया कि निंदतू नीति निपुणा, नीति नीति में निपुण… कलमकारों के सदा प्रेरक हमारे लिए सदैव स्मरणीय,.. नरसिंह भाटी ने भवानी शंकर व्यास विनोद साहब कालजयी कवि हैं व हमारे बीच रहेंगे,.. डॉ कृष्ण लाल विश्नोई : जिंदगी बना तो ऐसी बना, जिंदा रहे दिल साद तूं.. जिंदगी रहे न रहे फिर भी रहे याद तूं , .. सरदार अली परिहार : कला की कद्र करते थे, प्रोत्साहित भी किया करते थे, साहित्य सेवाओं में अग्रणी शिरोमणि थे… समकालीन भावों को याद करते हुए श्रद्धांजलि दी

मुख्य वक्ता – जुगल किशोर पारीक : शिक्षाविद भवानी शंकर व्यास विनोद साहित्य संत, हास्य-व्यंग्य के महान कवि के साथ जन जन के चितचोर थे, जर्दे में भंग भवानी का, गदर्भराज महा बलशाली, इसलिए तोंद को नमस्कार मेरे दादा जी भक्त बड़े आदि कई रचनाओं का वाचन किया,… रामेश्वर साधक : साहित्य बिच्छोह दुखदाई, साहित्य सान्निध्य सुखदाई …जिज्ञासु साधक को नव जीवन देते थे,… लीलाधर सोनी : इस दुनिया से जाने वाला कोई वापस लौट न आता, मालिक तेरी माया का कोई भेद न पाता,.. बाबू बमचकरी : शब्द साहित्य व कलम के सच्चे सिपाही थे, राग न द्वैष, निश्छल हृदय, निर्वाही थे… प्रभा कोचर : हे पारसनाथ तुमहें नमन,… राजकुमार ग्रोवर : सरल स्वभाव के साथ विराट व्यक्तित्व के धनी थे,.. तुलसीराम मोदी : वह ऐसे व्यक्ति थे, जिसकी मैं हर रोज पूजा करता था,… कृष्णा वर्मा : जीवन का दिया हुआ तोहफा है, दौलत शोहरत रिश्ते नाते जीवन से ही सम्भव है दार्शनिक रचना सुनाई
शिव दाधीच ने आप वो इन्सान थे, जिसको साहित्य जगत याद रखेगा। शब्द साहित्य,के महकते उपवन इंतजार करेगा।।… आज राम तो नहीं घर घर देखों रामायण है
विशाल भारद्वाज : कविता शायरी अपनी जगह, ग़ज़लें अपनी जगह, कवि के दिल को कोई तोड़े, वो फिर क्यूं न लिखें , हनी कोचर : जो बीत गई सो बात गई, मधुरिमा सिंह : विनोद साहब के साहित्य प्रोत्साहन पल प्रति पल याद आते हैं,.. कैलाश दान चारण राष्ट्रीय स्तर कवि थे,देशनोक में राष्ट्रीय स्तर काव्य अनुष्ठान कर परचम लहराया था
सुभाष विश्नोई : जिंदगी रा दुखता पग थमग्या ..
शिव प्रकाश शर्मा, घनश्याम सोलंकी, परमेश्वर सोनी, नन्द कुमार राठी, नत्थू खां, छोटु खां खोखर, निसार अहमद, आदि कई गणमान्य साहित्य वृंद साहित्य अनुरागी उपस्थित रहे कार्यक्रम का संचालन चुटिले अंदाज में शिव प्रकाश दाधीच ने किया कार्यक्रम समापन आभार इंदिरा व्यास ने किया तथा उपस्थित साहित्य वृंद ने दो मिनट का मौन रखकर पुष्पांजलि मय भावांजलि श्रृद्धांजलि अर्पित की

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