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बीकानेर,कोलायत में कांग्रेस सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे भंवर सिंह भाटी ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों के पुर्नगठन को लेकर हो रही राजनीति के खिलाफ रैली निकालकर जिला कलक्टर को आगाह किया हैं कि इसमें विसंगतियां है और देशनोक नगर पालिका के वार्डों का पुर्नगठन राजनीति के भेंट चढ़ रहा है। वहीं पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में पेयजल संकट को लेकर अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ जिला प्रशासन के कार्यालय के सामने धरना देने की घोषणा की है। अगर वाकय कोलायत के ग्रामीण इलाकों, जिले के अन्य हिस्सों और शहरी क्षेत्र में पानी- बिजली की किल्ल्त है तो कांग्रेस के नेता और पूर्व ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी क्यों नहीं बोल रहे हैं? बड़ा आश्चर्य है कि कांग्रेस के नेताओं को जनता की इस परेशानी की कोई परवाह ही नहीं है। पंचायत क्षेत्र के पुर्नगठन को वो जनता की पानी- बिजली की समस्या से बड़ा मानकर रैली निकाल रहे और जिला प्रशासन को पंचायत संस्थाओं के पुर्नगठन की विसंगतियों को दूर करने की मांग कर रहे हैं। लोकतंत्र में यह जागरूकता भी जरूरी है। सत्ता में रहने वाले राजनीतिक दल अपने हिसाब से राजनीति को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं, ऐसा सत्ता में रहते हुए कांग्रेस के नेताओं ने भी कोई कम नहीं किया है। सवाल यह है कि पूर्व ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी और साथी नेताओं को विपक्ष की भूमिका में जनता की समस्याओं से कोई लेना देना है भी या नहीं ? ऊर्जा मंत्री के साथ कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता भू दान बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मण कड़वासरा, प्रधान कोलायत पुष्पा देवी सेठिया, देहात जिलाध्यक्ष बिशना राम सियाग कांग्रेस संगठन के पदाधिकारी और पंचायत प्रतिनिधि शामिल थे। कोई भी नेता जन समस्या पर नहीं बोला। यह बात सही है कि वे पंचायतों के पुर्नगठन की विसंगतियों के मुद्दे पर इकट्टे हुए और कलक्टर से मिले। अब तक यहीं नेता जन समस्याओं को लेकर कितनी बार कलक्टर से मिले हैं? कांग्रेस पार्टी के कार्य योजना को लेकर तो राजनीतिक धरना प्रदर्शन भले ही किए हों जनता की समस्या पर कोई कदम उठाया हो तो दिगर बात है। सत्ता में बैठे देवी सिंह भाटी इतने क्यों उद्देलित है? उनके पास फीडबैक है कि जिले में पानी की भारी किल्लत है। नौकरशाह संवेदनहीन है। अफसर दफ्तरों में ही मिटिंगें कर रहे हैं। दौरा नहीं करते। पर्याप्त बिजली की आपूर्ति नहीं है। जल जीवन मिशन में 80 फीसदी पानी नहीं है। यह योजना विफल है। प्रशासन जांच नहीं कर रहा है। टैंकर से पानी पहुंचाने के 50-50 लाख के टेण्डर हो रखे हैं। पानी नहीं पहुंच रहा है। फर्जी भुगतान उठाया जा रहा है। जन सुनावई नाटक है। देवी सिंह भाटी ने जो सवाल उठाए हैं। इस पर कांग्रेस के नेता क्या कर रहे हैं? कांग्रेस के नेताओं में सत्ता से बाहर होने के बाद जन समस्याओं की राजनीति करने का कितना मादा बचा है। अपने राजनीतिक हितों पर चोट पहुंचने पर तो उनका उद्देलित होना स्वाभाविक है। जनता की पीड़ा के प्रति कितनी संवेदना है? यह बात सही है कि प्रशासन पर सरकार की पकड़ कमजोर है। विपक्ष की भूमिका में कांग्रेस भी नकारखाने में तूती की आवाज जितनी ही है। जनहित के मुद्दो पर तो कांग्रेस की कोई आवाज भी है या नहीं है। यही कारण है कि प्रशासन निष्क्रिय और संवेदनहीन है। न जन समस्याओं की तरफ प्रशासन का ध्यान है और न कोई सुनवाई। जनता का कौन माई बाप ? नेता तो अपने अपने हितों की राजनीति करते हैं। भाटी जी आपको ही और भाटी जी आपको भी जनता की आवाज बनना चाहिए। देवी सिंह भाटी का धरना भी अगर सरकार और प्रशासन की तन्द्रा तोड़ सके तो जनता को राहत मिल सकती है।

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