बीकानेर,खेजड़ी के महत्व को स्वीकार कर राजस्थान सरकार ने इसे राज्य वृक्ष घोषित किया है। यह घोषणा खेजड़ी संरक्षण और सुरक्षा के खातिर की गई हैं। केंद्र सरकार में ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने और सोलर ऊर्जा उत्पादन की क्रांति के नीतिकारों का खेजड़ी की इस महत्ता की तरफ ध्यान नहीं गया होगा? कोई भी नीतिकार अपनी भूलें तुरंत सुधार में लाता है, कोई ध्यान आकर्षित करे तब ना। अब देवी सिंह भाटी की घोषणा के बाद भूल सुधार होगी ही। वास्तव में खेजड़ी काटने की कोई योजना स्वीकृति नहीं देती। सोलर ऊर्जा उत्पादन बेशक राष्ट्रीय प्राथमिकता है, परंतु मरुस्थलीय पारिस्थितिकी का अहम वृक्ष खेजड़ी की कटाई की अनुमति पर नहीं है। खेजड़ी तुलसी जितना ही जनास्था वाला वृक्ष है। शुभ कार्यों में पूजा में खेजड़ी के लांखू रखे जाते है। इलाके के जनप्रतिनिधियों को क्या खेजड़ी की कटाई रोकने को आवाज नहीं बनना चाहिए? क्या ये राजनीति सत्ता सुख और अपने स्वार्थों के लिए ही करते हैं। ये जनता और धरातल के सच को अनदेखा क्यों करते हैं ? जो खेजड़ी की कटाई रोकने की आवाज नहीं बन रहे हैं वे सब नेता प्रकृति हनन के पापी हैं। चाहे कांग्रेस हो या भाजपा, चाहे सांसद हो या विधायक या अन्य कोई। आप जनहित, प्रकृति हित, समाज हित को देख ही नहीं पा रहे हैं लानत है आपके नेता होने पर। जिला कलक्टर, संभागीय आयुक्त को यह प्रकरण तथ्यों के साथ केंद्र और राज्य सरकार तक पहुंचाना चाहिए था। उनका रेवेया कभी भी सजग जन सेवक का नहीं रहा। कलक्टर और कमिश्नर को आत्म चिंतन करना चाहिए की वे कैसे जन सेवक हैं? ।देवी सिंह भाटी ने अब आवाज उठाई है। निश्चित ही सरकार तक पहुँचेगी। बीकानेर जिले में सरकार तेजी से सोलर कंपनियां सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए नए प्रोजेक्ट ला रही है। जहां सोलर प्लांट लग रहे हैं ऐसी लाखों बीघा भूमि पर पेड़ कटे हैं। खासतौर
पूरा पश्चिमी राजस्थान सोलर हब बन रहा है। पूरे प्रदेश में खेजड़ी की कटाई का विरोध हो रहा है। सोलर कंपनियों की ओर से सौर ऊर्जा प्लांट लगाने के दौरान खेजड़ी कटाई के खिलाफ बीकानेर मुख्यालय और जिले भर में धरने चल रहे हैं। साथ ही महाअभियान की तैयारी चल रही है। आयोजकों का नारा है कि राज्य सरकार होश में आओ, खेजड़ी बचाकर सोलर लगाओ। देवी सिंह भाटी को जन समर्थन है। उनके आव्हान पर हजारों लोग इस मुद्दे पर साथ खड़े हो सकते हैं। उनकी नेतृत्व क्षमता और जनता की आवाज बनने से खेजड़ी बचाओ आंदोलन को आवाज मिलेगी। वैसे खेजड़ी को राजस्थान सरकार ने राज्य वृक्ष का दर्जा दिया है तो सरकार ने मानती है कि खेजड़ी मरूस्थलीय क्षेत्र का महत्वपूर्ण वृक्ष है। तो भी खेजड़ी काटी क्यों जा रही ? यह सवाल सरकार के आला अफसरों के जहन में क्यों नहीं आ रहा है?. यह बात सही है सोलर ऊर्जा भारत की जरूरत है और यह नई ऊर्जा क्रांति है। खेजड़ी कटने से मरूस्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र असंतुलित होना तय है। प्रशासन और सरकार इस मुद्दे पर चुप क्यों है ? यह सच को सच कहने के साहस की कमी का फल है। राजस्थान में भाजपा की सरकार है। देवी सिंह भाटी भाजपा के बड़े और दबंग नेता है वे सरकार के खिलाफ नहीं, बल्कि यर्थात को दिखा रहे हैं। बाकी नेता भी सही स्थिति सरकार और सोलर कंपनियों के समक्ष क्यो नहीं रख रही है? सोलर प्लांट की जरूरत और इसके सभी पक्षों को इन आन्दोलनकिरयों के सामने रखकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। अन्यथा विवाद बढ़ सकता है और काम में भी बाधा आ सकती है। स्थिति यह है कि नाल, जयमलसर, नोखा दैया, भानीपुरा, बांद्रा वाला और रणधीसर गांव की लगभग 5000 बीघा सिंचित भूमि में से 15000 खेजडिया काट दी गई है। इसी तरह के आरोप और भी लोगों ने लगाए है। कई थानों में खेजड़ी काटने की पुलिस रिपोर्ट दर्ज है। कई अधिकारियों को आंदोलनकारियों ने लिखित रिपोर्ट दी है। मुख्यमंत्री, भारत सरकार के पर्यावरण मंत्री और विभागों के अधिकारियों को अवगत करवाया गया है। पिछले साल भर से ज्यादा समय से चल रही इस कवायद का सरकार के स्तर पर कोई असर नहीं हुआ है। देवी सिंह भाटी ने आवाज बनकर पुण्य का काम किया है। एक पेड़ लगाने से सौ पुत्रों जितना पुण्य माना गया है। अगर देवी सिंह भाटी खेजड़ी बचाने में सफल होते हैं तो उनका जीवन सफल है। अभी तो कोई नेता और अफसर खेजड़ी बचाने की आवाज नहीं बन रहे हैं। जो आंदोलन की आवाज है वो नकार खाने में तूती ही साबित हुईं है। संघर्ष समिति के मोखराम धारणियां का कहना है कि इस मुद्दे पर वे राजस्थान सरकार के मंत्री सुमित गोदारा, डा. विश्वनाथ से भी मिले समेत सत्ता पक्ष और कांग्रेस के कई नेताओं से मिले कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। पुलिस और प्रशासन तो सुन ही नहीं रहा है। यह मुद्दा दुश्चक्र में उलझा हुआ है। इसमें सोलर कंपनियों के दलाल, भू माफिया और बिचौलिए अप्रत्यक्ष में मुनाफे का खेल खेल रहे है जो प्रशासन और सरकार धरातल पर देख नहीं पा रही है। खेजड़ी मरुस्थल का अमी वृक्ष है। यहां की इकोलोजी का आधार स्तंभ माना गया है। खेजड़ी के कटने से मरूस्थल का पूरा प्राकृतिक चक्र प्रभावित होना ही है। खेजड़ी वन्य जीव जन्तुओ का भोजन और संरक्षण स्थली है। कटाई से इन पर मौजूद पक्षियों के घौंसले और उनके अंडे नष्ट हो रहे हैं । इसकी पीड़ा देवी सिंह भाटी ने महसूस की है। वे खुद कमेड़ी का दर्द बनकर इस आंदोलन में कूद हैं। कमेड़ी, कोवे , चिड़ियाएं, कीट पतंगे और पूरे प्रकृति चक्र का उन्हें आशीर्वाद मिलेगा।
राजस्थान सरकार को खेजड़ी नहीं कटे और सौर ऊर्जा प्लांट भी लगे ऐसा रास्ता निकाला चाहिए। जनता के रोष को अनदेखा कर खेजड़ियों की कटाई ठीक नहीं है। क्या सरकार को राज्य वृक्ष खेजड़ी के काटने पर रोक के कानून की फ़िक्र है। हाईकोर्ट के निर्देश, जन आस्था, प्रकृति चक्र में खेजड़ी की उपादेयता, कृषि में उपयोगी और पर्यावरण सुरक्षा के मायने तो सरकार को पता ही है। फिर भी सोलर ऊर्जा के उत्पादन के फायदे में खेजड़ी काटना जरूरी क्यों है ? देवी सिंह भाटी के आन्दोलन की तैयारी के बीच चुप्पी ठीक नहीं है। जिला कलक्टर, प्रशासन और सरकार अपनी जिम्मेदारी को समझे। बीकानेर संभाग मुख्यालय, सूडसर,खेजड़ला में इसी मुद्दे पर धरना चल रहा है। इसमें बीकानेर के अलावा नागौर और फलोदी से विश्नोई समाज के लोग और पर्यावरण संरक्षण में विश्वास रखने वाले लोगों का जमावड़ा है। सवाल यह है कि सरकार इनकी आवाज क्यों नहीं सुनी। देवी सिंह भाटी के साथ बाकी नेताओं को भी आगे आना चाहिए। हिम्मत है ? मुद्दा सही है तो सांसद , विधायक सही को सही तो कहें? जनता ने आपको क्यों चुना है ? क्या जनता आपको धिक्कारेगी नहीं ? क्या ये लोग गलत धरना दे रहे हैं या इनके मुद्दे झूठे अथवा राजनीति से दुष्प्रेरित है। सरकार खेजड़ी काटने की बात को किन्हीं कारणों से उचित मानती है तो इनको लॉजिक समझाकर धरना खत्म करवा दें। सौर ऊर्जा कंपनियों की ओर से खेजड़ी व अन्य पेड़ों की कटाई गलत है तो नोटिस लें। लोकतंत्र में सरकार का हिस्सा जनता भी है। जनता की आवाज को अनसुना करना नितांत गलत है। खेजड़ी की कटाई का जो आरोप जिम्मेदार लोग लगा रहे हैं या तो सरकार इसे गलत साबित करें। सोलर प्लांट लग रहे हैं हजारों बीघा भूमि वृक्षहीन कर दी गई है पेड़ काटने और प्लांट लगाने का काम जारी है। इस पीड़ा को सुनने और समझने को पटवारी, थानेदार, तहसीलदार और सरकार भी तैयार नहीं है। कानूनी कार्यवाही और रोकथाम तो दूर इस संबंध में प्रकृति प्रेमियों की तमाम लिखित शिकायतों का संतोषजनक जबाव तक नहीं मिल पा रहा है। सरकार सुनो। जिम्मेदारी प्रशासन और सरकार की ही है। भाटी जी आवाज दीजिए जनता आपके साथ है