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बीकानेर,भ्रष्ट और लापरवाह अफसरों के कारण बदनामी के दंश झेल रही भजनलाल सरकार के एक्शन मोड़ में आने से अफसर लॉबी में खलबली सी मच गई है। जानकारी में रहे कि प्रदेश में अफसरों के भ्रष्ट रवैये और कामकाज में लापरवाही के कारण सरकार की रैकिंग लगातार डाउन हो रही थी,दिल्ली में पार्टी हाईकमान तक भी इस मामले को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही थी। ऐसें में सरकार ने सख्ती दिखाते हुए भ्रष्ट आचरण और काम में गंभीर लापरवाही के 15 मामलों में 28 अफसर, कर्मचारियों के खिलाफ अलग-अलग कार्रवाई करने की मंजूरी दी है। इनमें शामिल रिश्वत लेने और नियमों के खिलाफ काम करने के मामलों में दो आरएएस अफसरों को सस्पेंड करने के आदेश दिए हैं। 13 अफसरों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी है। वहीं चुनाव के काम में लापरवाही बरतने के एक मामले में एक एसडीओ और तहसीलदार को चार्जशीट देकर विभागीय कार्रवाई शुरू करने की मंजूरी दी गई है। दोनों अफसरों को राजस्थान सिविल सेवा नियम, 1958 के नियम 16 के तहत चार्जशीट दी जाएगी। सरकारी काम में लापरवाही बरतने और लंबे वक्त तक ड्यूटी से गायब रहने के मामले में एक कर्मचारी को जबरन रिटायर करने का फैसला किया है। इसके अलावा सरकार ने भ्रष्टाचार से जुड़े तीन मामलों में 13 अफसरों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति दी है। अब इन अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में मुकदमे चलेंगे। भ्रष्टाचार के मामले में कोर्ट से दोषी पाए जाने पर दो अफसरों की पूरी पेंशन रोकने का फैसला किया है। तीन मामलों में दोषी 5 अफसरों की समानुपातिक पेंशन राशि रोकने का फैसला किया है। रिटायरमेंट के बाद जांच में आरोप प्रमाणित पाए जाने पर एक एक मामला मंजूरी के लिए राज्यपाल को भिजवाया गया है। नियम 17-सीसीए के तहत क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर कार्यवाही करने के कारण एक प्रिंसिपल के खिलाफ एक्शन लेने का फैसला किया है। एक आरपीएस अफसर के खिलाफ नियम-34 के तहत कार्रवाई को बरकरार रखा है। आरपीएस ने सीएम के सामने रिव्यू याचिका दायर की थी जिसे खारिज करते हुए पहले के फैसले को बरकरार रखा गया है। सरकार के इस एक्शन के बाद प्रदेश की प्रशासनिक लॉबी में जबरदस्त हलचल सी मची हुई है। एक्शन से बचने के लिये भ्रष्ट और लापरवाह लॉबी के कई अफसर अपने सियासी आकाओं की शरणागत हो गये है।

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