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बीकानेर,पीएम मोदी के गढ़ गुजरात में होने जा रहे विधानसभा चुनावों में इस बार भी पूरे देश की नजरें टिकी हुई है। गुजरात चुनावों को लेकर एग्जिट पोल पहले ने कांग्रेस की हार का इशारा कर दिया है। वहीं सट्टा बाजार भी इसी बात के संकेत दे रहा है कि भाजपा चुनाव जीत सकती है । हालांकि चुनावी सट्टा पूरी तरह अवैध और गैर कानूनी है मगर इसके बावजूद गुजरात विधानसभा के चुनावों में बीकानेर समेत देश प्रदेश के नामी सट्टोरियें करोड़ों के दाव लगा रहे है। सट्टा जगत से जुड़े सूत्रों के अनुसार बीते सप्ताह भर के अंतराल में गुजरात चुनावों को लेकर बीकानेर सट्टोरियं पचास करोड़ से ज्यादा के दाव लगा चुके है। माना जा रहा है कि 18 दिसंबर यानी चुनाव के नतीजे आने तक यह बाजार गर्म ही रहेगा. सट्टा बाजार में भाजपा का भाव 55 पैसे है और कांग्रेस का भाव 2 रुपए है. पहले चरण में कांग्रेस का भाव 3 रुपए का रखा गया था, लेकिन कांग्रेस की तगड़ी दावेदारी के चलते अब उसका दाम पहले से कम हो गया है. सट्टा बाजार के अनुसार गुजरात चुनाव में भाजपा को 135-145  सीटें मिल सकती हैं, जबकि कांग्रेस के हिस्से में 30-35  सीटें आने की संभावना है । जानकारी में रहे कि राजनीति के बड़े बड़े महारथी भी चुनावों के आंकलन को लेकर एक्जिट पोल और सर्वे से ज्यादा सट्टा बाजार के आंकलन पर भरोसा करते है। बीकानेर के एक चुनावी सट्टेबाजी ने बताया कि गुजरात चुनावों में इस बार भी बीजेपी का पलड़ा भारी है। यहां बीजेपी भारी बहुमत के साथ वापसी करती नजर आ रही है। जबकि आम आदमी पार्टी की सीटों का आंकड़ा बीस से ज्यादा नहीं होगा। सट्टेबाजों को उम्मीद है कि इस चुनाव में बीजेपी लगभग दो दशकों में सबसे अधिक सीटें हासिल करेगी। उन्हें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में सट्टा बाजार में कारोबार करीब चालीस-पचास हजार करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।

बीकानेर में चलते है फलौदी सट्टा बाजार के भाव
जानकारी के अनुसार देश प्रदेश के हर चुनावों में यहां बीकानेर चुनावी सट्टा बाजार में करोड़ो के दाव लगते है। बीकानेर के सट्टा बाजार में सालों से फलौदी सट्टा बाजार के भाव ही चलते है । चुनाव चाहे विधानसभा का हो या लोकसभा का। घोषणा, मतदान से लेकर नतीजों पर सटोरिए अलग-अलग भाव तय करते हैं। पार्टी और प्रत्याशियों की हार-जीत पर सट्टा लगता है। सीटों के गणित पर सट्टा लगता है। सट्टा इस बार भी लगा है, वह भी करोड़ों में। सट्टा ऑफ लाइन और ऑन लाइन दोनों तरह से लगवाया जाता है। जानकारी के अनुसार चुनावी सट्टा लगाने के लिए कई वेबसाइट हैं। इनके एजेंट को मास्टर लॉगिन आईडी और पासवर्ड 5 से 25 लाख में लेना होता है। फिर एजेंट सट्टा लगाने वालों से पैसे लेकर उनकी सब आईडी बनाकर दे रहे हैं। इससे लॉगिन करते ही स्क्रीन पर पार्टियों के हार-जीत का अनुमान सामने आ जाता है।

देशभर में फैला हुआ है नेटवर्क
जानकारी के अनुसार क्रिकेट बुकियों की तरह चुनावी सट्टोरियों का नेटवर्क भी देशभर में फैला हुआ है। जहां चुनाव होता है, वहां के भाव खोलने से पहले सटोरिए पहले अपने स्तर पर उस राज्य का सर्वे करवाते हैं। इनके आदमी उन राज्यों व प्रमुख क्षेत्रों में होने वाली राजनीतिक गतिविधियों का हर दिन अपडेट देते हैं। इसी के आधार पर ही यहां भाव खुलते हैं। गुजरात चुनावों की घोषणा के  तत्काल बाद सट्टा बाजार ने किसी भी पार्टी का स्पष्ट आकलन नहीं दिया था। जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ता गया, सट्टा बजार से सीटों के अनुमान और जीत-हार पर दांव लगाने के दाम बाहर आने लगे। अब सातों चरण का मतदान निपटने के बाद सट्टा बाजार ने जीत-हार का गणित बताना शुरू कर दिया है। सटोरियों की भाषा में इसे सेशन कहा जाता है। सेशन यानी किसी पार्टी की जीत-हार के साथ सीटों की संख्या भी बताना। इन्हीं सीटों पर यस या नो करने पर दांव लगाते हैं। यस मतलब बताई गई सीटें आ रही हैं और नो मतलब उतनी सीटें नहीं आ रहीं।

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