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बीकानेर,बार एसोसिएशन बीकानेर के चुनाव निर्धारित तिथियों पर संवैधानिक और लोकतांत्रिक तरीके से होंगे। समाचार पत्रों में चुनाव से संबंधित जारी खबर सही नहीं है। जिससे न केवल आमजन बल्कि अधिवक्तागण भी भ्रमित हुए है। यह बात बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विवेक शर्मा ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही। उन्होंने कहा कि बीकानेर बार एसोसिएशन जो एक अपंजीकृत संस्था है उसके द्वारा यह विज्ञप्ति जारी की गई है। शर्मा ने बताया कि बीकानेर बार एसोसिएशन ने जो वोटर लिस्ट जारी की है। उनमें से अधिकांश अधिवक्ता मतदाताओं को इस बारे में जानकारी तक नहीं है। उनके सदस्यता शुल्क लिए बिना ही उन्हें बिना अनुमति सदस्य बना लिया है। जिसको लेकर अधिवक्ताओं ने अपनी लिखित व मौखित आपत्ति भी दर्ज करवाई है। बार अध्यक्ष शर्मा ने आरोप लगाया है कि इससे पूर्व भी वर्ष 1977 व 1991-1992 में ऐसे ही इन्हीं महाश्यों द्वारा बार के टुकड़े किये व अपने निजी हितों को साधा गया। उन्होंने बताया कि बीकानेर बार एसोसिएशन बीकानेर को किसी प्रकार के वैधानिक दर्जा प्राप्त अधिवक्तागण की एसोसिएशन नहीं है। इस गुट को अपने निजी हितों को साधने के लिए बनाया गया है। साथ ही वर्तमान में राजस्थान बार कौंसिल ऑफ इंडिया के द्वारा य शपथ पत्र अनिवार्य किया गया है कि एक अधिवक्ता एक ही बार एसोसिएशन की सदस्यता ग्रहण कर सकता है जो बीकानेर में बार एसोसिएशन बीकानेर ही है। शर्मा ने बताया कि बार एसोसिएशन बीकानेर पंजीकृत होने के कारण व लंबे समय तक कार्यरत्त होने के कारण अनुभव प्रमाण-पत्र रिन्युवल फॉर्म व वेलफेयर के तहत अनुमोदन बार एसोसिएशन बीकानेर के अध्यक्ष व सचिव की अनुशंषा पर ही किया जा सकता है तथा बार एसोसिएशन बीकानेर की संपदा पर बार एसोसिएशन बीकानेर ही विधिक अधिकार रखती है। शर्मा ने बताया कि 12 जनवरी 2023 को बार एसोसिएशन बीकानेर के वरिष्ठ अधिवक्तागण धन्नेसिंह राठौड़, प्रमोद खन्ना, दाऊजी पुरोहित, कमलनारायण पुरोहित आदि लगभग 16 वरिष्ठ अधिवक्तागण के द्वारा मध्यस्थ बनकर विवाद को दूर करने का प्रयास किया गया परंतु उसमें बार एसोसिएशन बीकानेर के सभी पदाधिकारीगण मध्यस्थ के आह्वान पर मीटिंग स्थल पर उपस्थित हुए परंतु ‘बीकानेर बार एसोसिएश, बीकानेरÓ का कोई भी पदाधिकारी व सदस्य उपस्थित नहीं हुआ तथा अपनी अनुपस्थिति से उक्त विवाद को सुलझाने का अस्वीकृति प्रदान की।

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