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श्रीडूंगरगढ़ बीकानेर,श्रीडूंगरगढ़ के कालूबास वार्ड नं 38 में संगीतमय भागवत कथा सुनाते हुए पंडित अक्षय अनंत गौड़ ने कहा कि सभी भगवत-कृपा चाहते हैं, पर बहुत कम भक्तों को ऐसा सौभाग्य प्राप्त होता है । भागवत कथा के चौथे दिन गजेंद्र-मोक्ष, समुद्र-मंथन तथा कच्छप और वामन अवतार की कथा सुनाते हुए बाल व्यास पंडित गौड़ ने कहा कि बलि को जब गुरु शुक्राचार्य ने विष्णु के छल के बारे में बताते हुए दान देने से मना किया तो बलि ने गुरु का ही त्याग कर दिया और वामन भगवान को तीन पैरों में तीनों लोकों सहित स्वयं को भी समर्पित कर दिया और तभी से “बलिदान” शब्द चल पड़ा । भागवत कथा के आयोजक *गौ भक्त भगवानाराम गौड़* ने बताया कि आज की कथा में भगवान कृष्ण के जन्म की कथा सुनकर श्रोतागण भाव-विभोर हो उठे। नंदबाबा के घर जाते हुए वासुदेव के सिर पर बालक कृष्ण की सजीव झांकी देखते हुए दर्शक नाचने लगे। कल रात्रि में नरसी जी की भक्त-मंडली द्वारा नानी बाई के मायरे में जाने की कथा सुनाई गई ।भगवानाराम के पौत्र पियूष ने बताया कि इस भागवत कथा व नानी बाई के मायरे की कथा का समापन 21 अक्टूबर को होगा। भागवत कथा सुनने के लिए बहुत दूर दूर से गांवों से भक्त जन तथा रिश्तेदार भी बहुत अधिक संख्या में आ रहे हैं

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