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बीकानेर बहुरूपिया कला प्राचीन है। रियासतकाल से इस कला परंपरा ने समाज में अपना विशेष स्थान बनाया है। विचित्र और विशिष्ट वेशभूषा के साथ विशेष हाव-भाव संवाद, वाकपटुता और कला कौशल से इस कला में पारंगत पत्रिका कलाकारों ने अपनी अलग पहचान बनाई है। पीढ़ी दर पीढ़ी कई परिवार विशेष इस कला परंपरा से जुड़े रहे है। हालांकि बदलते समय के साथ कई परिवार इससे दूर भी होते गए, लेकिन आज भी कई लोग इस कला परंपरा को न केवल जीवित रखे हुए हैं बल्कि राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर इस कला का प्रदर्शन भी कर रहे हैं। इनमें से एक है बांदीकुई दौसा का एक मुस्लिम परिवार, जो पीढी दर इसी कला परंपरा से जुड़ा हुआ है। इस परिवार के छह सदस्य, जो भाई है, बहुरूपिया कला का प्रदर्शन कर न केवल इस कला को आगे बढ़ाने का काम कर रहे है बल्कि इसी कला से अपने घर परिवार का भरण-पोषण भी कर रहे हैं।

देश-विदेश में प्रदर्शन

बहुरूपिया कलाकार फिरोज अनुसार उनका परिवार पीढ़ी दर परिवार के पूर्वजों को इस कला फिरोज के प्रदर्शन के लिए आमजन के साथ रियासतकाल में राजा-महाराजाओं से खूब दाद मिली। इस कला परंपरा से उनके परिवार का भरण-पोषण होता रहा है। फिरोज बताते हैं कि वे और उनके भाई कई देशों सहित देश देशज के विभिन्न राज्यों उत्सवों, मनोरंजन कार्यक्रमों आदि में इस कला का प्रदर्शन कर चुके है।

बहुरूपिया कला को मिले संरक्षण

बहुरूपिया कला को दीर्घकाल तक सुरक्षित और संरक्षित रखने की आवश्यकता है। कलाकार फिरोज के अनुसार सरकार से इस कला को संरक्षण और प्रोत्साहन मिलना आवश्यक है। वे बताते हैं इस कला से जुड़े कलाकार आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। कई परिवारों के पास रहने के लिए स्वयं की जमीनें नहीं हैं। जमीन है तो जमीनों के पट्टे नहीं हैं। बीपीएल कार्ड तक नहीं हैं। न पेंशन मिलती है और ना ही आर्थिक सहायता। इस कला को बढ़ावा मिलना चाहिए। वर्कशॉप हो, बच्चों और युवाओं तक इसे पहुंचाया जाना आवश्यक है। यह कला ऐसी है जिसका परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर आनंद ले सकते हैं। सरकारी स्तर पर होने वाले हर उत्सव में इस कला का प्रदर्शन आवश्यक रूप से होना चाहिए, ताकि इस कला से जुड़े कलाकारों को रोजगार मिल सके और बढ़ावा भी।

देशज में कर रहे मनोरंजन

बहुरूपिया कला से जुड़े कलाकार
राजस्थान संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली और जिला प्रशासन की ओर से आयोजित किए जा रहे लोक कला उत्सव देशज में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं। बहुरूपिया कलाकार फिरोज के अनुसार उनके पांच भाई बीकानेर आए हैं, उन्होंने बहुरूपिया कला से लोगों का मनोरंजन कर दाद बटोरी। फिरोज के अनुसार उनके अलावा उनके भाई फरीद, नौशाद, शमसाद सलीम और अकरम अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं। मंगलवार को रविंद्र रंगमंच परिसर में इन बहुरूपिया कलाकारों ने शिव, नारद, भील, जोकर, जामवंत व जिन का स्वरूप धारण कर लोगों का मनोरंजन किया।

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