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बीकानेर, कृषि विज्ञान केन्द्र, बीकानेर द्वारा जलवायु समुत्थानशील कृषि पर राष्ट्रीय नवाचार परियोजना तथा मिशन लाईफ के तहत गांव-कानासर, बीकानेर में वर्षा जल संचयन और इसके कुशल उपयोग हेतु जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें लगभग 80 किसानों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. सुभाष चन्द्र, निदेशक प्रसार शिक्षा, स्वामी केशवानन्द राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर थे। उन्होंने वर्षा जल को प्रकृति प्रदत अमूल्य उपहार बताया और कहा कि वर्षा जल का संचय करना चाहिये और प्रत्येक बूंद का कुशलतम उपयोग आज की आवश्यकता है। डॉ. सुभाष चन्द्र ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा होने के समय में भी बदलाव हो रहा है और तापमान सर्दियों में भी बढ रहा है। अतः आवश्यक है कि हम अधिक से अधिक पौधे लगाएं और पर्यावरण प्रदूषण को कम करें ताकि जलवायु परिवर्तन को रोका जा सके। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि उपनिदेशक कृषि अनुसंधान इंजी. जे. के. गौड़ ने छत से प्राप्त होने वाले वर्षा जल के आंकलन, नाली में बहते जल का अनुमान, फार्म पोंड व डिग्गी में जल की भराव क्षमता को ज्ञात करने संबंधित जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यदि एक हेक्टेयर खेत में एक सेंटीमीटर वर्षा का जल बरसता है तो एक लाख लीटर पानी उस क्षेत्र पर गिरता है। आवश्यकता है कि किसान इसका महत्व समझे। खेत में खुला पानी देने की जगह सूक्ष्म सिंचाई विधियों से पानी देना चाहिये। डॉ. केशव मेहरा ने बताया कि किसानों को कम पानी में पक कर तैयार होने वाली उन्नत किस्मों का उपयोग करना चाहिये तथा बूंद-बूंद सिंचाई पर बगीचे लगाने चाहिये जिससे की अतिरिक्त आय हो सके तथा गर्म हवाओं के प्रभाव को भी कम किया जा सके। मुकेश चौधरी ने लो टनल तथा मल्चिंग के बारे में किसानों को बताया। नवरतन प्रकाश ने कार्यक्रम में पधारे सभी अतिथिगण तथा किसानों को धन्यवाद दिया।

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