बीकानेर,साता वेदनीय कर्म का बंध संयम में रमण करता है। संयम ही धर्म है। प्रभु से पूछा संसार में श्रेष्ठ क्या है…? , प्रभु ने कहा कि संयम ही श्रेष्ठ है। संयम आचरण में अहिंसा है। आचरण की सजगता, यतना, करुणा हमें श्रेष्ठ बनाती है। जो संयम में रमण करता है, वह निर्जरा तो करता ही है, पुण्य का भी बंध करता है। यह सद्ज्ञान श्रावक-श्राविकाओं को श्री शान्त क्रान्ति जैन श्रावक संघ के 1008 आचार्य श्री विजयराज जी महाराज साहब ने दिया। वे शुक्रवार को सेठ धनराज ढ़ढ्ढा की कोटड़ी में नित्य प्रवचन के दौरान साता वेदनीय कर्म के सातवें बोल ‘संयम में रमण करता जीव’ विषय के पहले सूत्र आचार में अहिंसा पर व्याख्यान देते हुए कहा कि संयम की श्रेष्ठता आचारण में अहिंसा से आती है। मेरे साधु बनने के बाद भी आचरण में हिंसा है तो बंधुओ, मेरे साधु होने का क्या लाभ है। अरे, वेषभुषा तो केवल पहचान के लिए है।
प्रमत योग के बारे में बताते हुए महाराज साहब ने कहा कि शास्त्रकार कहते हैं कि आपके भीतर मारने का भाव है, फिर भी आप मार नहीं पाते हैं तो भाव हिंसा तो हुई,ऐसी भाव हिंसा बंधुओ कितनी होती है।महाराज साहब ने कहा कि संसारियो के आचार में आज अहिंसा का नहीं, हिंसा का समावेश है। इसलिए हमें संयम में रहना चाहिए। धर्म में कहा गया है, जियो और जीने दो। संसार का हर जीव जीना चाहता है। एक गटर में रहने वाला कीड़ा भी गटर में जीना चाहता है, मरना नहीं चाहता। यहां तक की एक व्यक्ति जो पैरालिसिस रोग से पीडि़त है और चल फिर भी नहीं सकता, वह भी जीना चाहता है,यह नैसर्गिक, प्राकृतिक बात है।
साधक का कार्य आचार में अहिंसा रखना है। इसलिए सुबह उठते ही सबसे पहला काम नवकार मंत्र का जाप करो, अकाय जीव की हिंसा नहीं कि उठे और लाइट, पंखे जलाये, पहले णमो अरिहंताणम् का जाप करो। दिनचर्या में बदलाव आ गया तो जीवनचर्या में बदलाव आ जाता है।
प्रवचन के आरंभ में महाराज साहब ने भजन ‘मन के हारे हार कहाये, मन के जीते जीत सुहाय, मन को जो वश में कर पाये, वो ही पीर कहाये’ सुनाकर उसके भावार्थ बताए।
‘वल्र्ड सुसाइड प्रिवेन्शन डे’ पर व्याख्यान कार्यक्रम शनिवार को
श्री शान्त क्रान्ति जैन श्रावक संघ के अध्यक्ष विजयकुमार लोढ़ा ने बताया कि शनिवार 10 सितंबर को वल्र्ड सुसाइड प्रिवेन्शन डे है। संघ के आचार्य श्री विजय गुरु का यह संदेश है कि आत्महत्या से मुक्त हो देश विदेश, इसलिए संघ की ओर से देश- विदेश में पांच करोड़ संकल्प पत्र भरवाने का लक्ष्य रखा गया है। इसकी शुरूआत शनिवार को गुरुदेव विजयराज जी महाराज साहब करेंगे। सेठ धनराज ढ़ढ्ढा की कोटड़ी में होने वाले कार्यक्रम में शहर के सकल जैन समाज, प्रशासनिक अधिकारी, राजनेता, उद्यमी एवं व्यापारी सहित अन्य क्षेत्रों के गणमान्यजनों को आमंत्रित किया गया है।