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बीकानेर,कांग्रेस पार्टी के वोट बैंक कहें जाने वाले अनदेखी किए जाने के हमेशा ही आरोप लगाते रहे हैं। यह कुछ हद तक सही भी है।

अभी कुछ समय से अल्पसंख्यक समुदाय विशेष रूप से मुस्लिम समाज के लोग कांग्रेस से बहुत ख़फ़ा नजर आ रहे हैं क्योंकि उनकी इस सरकार ने अधिक ही अनदेखी कि जा रही है। पिछले चार साल से यूआईटी चेयरमैन के लिए बीकानेर से दिल्ली वाया जयपुर अनेकानेक चक्कर लगाएं लेकिन परिणाम शून्य ही साबित हुआ मुख्यमंत्री के बीच लोगों ने इनको आश्वासन देते रहे लेकिन हुआ कुछ नहीं आखिरकार लगभग एक वर्ष पूर्व बीकानेर प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अक्लईयत के लोगो को उन सभी आश्वासन देने वालों के सामने ही कहा था आपने बहुत देर कर दी जबकि बीकानेर यूआईटी चेयरमैन की कुर्सी आज भी खाली पड़ी है। ऐसा अक्लईयत कैसे ही क्यों ????? जबकि अक्लईयत के 95 प्रतिशत वोट इसी कांग्रेस पार्टी को जातें हैं।
इस बार मुस्लिम समाज के नौजवानों ने यह बीड़ा उठाया है कि हम कब तक इस अनदेखी को बर्खास्त करते रहेंगे। कांग्रेस में भाजपा आरएसएस के लोगो को सरकार और संगठन में प्राथमिक दी जाती रही है हरबार अक्लईयत को के साथ ही अन्य होता है चुनाव पूर्व हमारे मदरसा पैराटीचर्स के साथ धोषणा पत्र में नियमित करने कि मांग कि गई थी जो साढ़े चार हों गया एक छलावा साबित हो रहा यह कुछ कारण रहें कि अक्लईयत के लोगो ने मुख्यमंत्री के दौरे का पुरी तरह बहिष्कार किया । हमें राहुल गांधी जी के साथ जो हुआ वह भी बेहद अफसोसनाक हैं। लेकिन राजस्थान सरकार के द्वारा किया जा रहा छलावा कब तक सहन करें।
भाइयों आपसी खींचतान तानाकस्सी का वक्त नहीं हैं आज के दौर की नजाकत को देखते हुए सविधान मे प्रदत अधिकार व सरकार- सता से मिलने वाले हकों को प्राप्त करने के लिए भी संगठित प्रयास करने पड़ते हैं।अफसोस हम ब्याव शादी मे खाने के लिए तो एकत्रित हो जाते हैं, हमारे हुकूकों व सता में भागीदारी के लिए सयुंक्त रूप से प्रयास की आवश्यकता है।
वर्तमान दौर में संख्याबल के जो प्रदर्शन महासभाऐं विभिन्न समाजों की ओर से हो रहे है उनसे भी सीख लेनी चाहिए, हम साधन सम्पन्न नहीं हैं महासभाएं करने की हैसियत में नही हैं क्योंकि सशक्त नेतृत्व की कमी है ।रही संख्या बल तो सब जाति समुदायों के बराबर है लेकिन अब हर पार्टी हमे एस सी एस टी से भी निम्न तबके के रुप मे आंक रही है ये सोचनीय है,हमारे उन चंद लोगों को यदा कदा तवज्जो मिलती है वे भी अपनी सुरक्षा हितों के कारण चुपी धारण किए दिखाई देते हैं मेरा मानना है कि ये चंद लोग ही हैं जिनकी अभी भी समाज आदर करता है इन्हे युवाओं को साथ ले कर संगठित हो कर व्यक्तिगत लाभ हानि कि प्रवाह न करते हुए कोम में बेदारी लाने के लिए संगठित प्रयास करने होंगे।

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