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बीकानेर, साध्वीश्री मृगावती, सुरप्रिया व नित्योदया के सान्निध्य में रांगड़ी चौक में 18 पाप कर्मों से बचने के लिए विशेष प्रवचन माला शुरू हुई। तीनों साध्वियां प्रतिदिन सुबह नौ से दस बजे तक पाप कर्म, उसके प्रभाव व बचने के तरीके पर प्रवचन करेंगी। रविवार को आयोजित शिविर में बच्चों ने धर्म व आध्यात्म की बातें जानी तथा अपनी जिज्ञासाओं को साध्वीवृंद से प्रश्न कर दूर किया।

साध्वीश्री मृगावती ने कहा कि जैन धर्मानुसार 18 प्रकार से पापों को वर्णित किया गया है। पाप अशुभ प्रकृति रूप है जिसका फल कड़वा और प्राणी की आत्मा को मैला करें उसे पाप कहते है। पाप स्थानों का सेवन करने से जीव भारी होता है तथा नीच गति में जाता है। इनका त्याग करने से जीव हल्का तथा उर्ध्व गति प्राप्त करता है। पापों से बचकर जीव इस भव और परभव में निराबाध परम सुख प्राप्त करता है।
साध्वीवृंद ने बताया कि किसी भी जीव की हिंसा करना, उसका वध करना, मारना प्रणातिपात पाप, असत्य वचन बोला, झूठ बोलना मृषावाद पाप, किसी से पूछे बिना उसकी वस्तु लेना, चोरी करना अदत्तादान पाप, असंयमित होकर कुशील का सेवन करना मैथुन पाप, किसी भी वस्तु को संचित करना, द्रव्य आदि रखना ममता रखना ’’परिग्रह’’ पाप, खुद तपना दूसरे को तड़पाना क्रोध पाप, अहंकार या घमंड करना, मान पाप, ठगाई, कपटपूर्वक आचरण करना माया पाप, तृष्णा बढ़ाना, अत्यधिक पाने की लालसा रखना ’’लोभ पाप’’, मनोज्ञ वस्तु पर स्नेह रखना, प्रीति करना ’’राग पाप’, अमनोज्ञ वस्तु पर द्वेष करना ’द्वेष’’ पाप, कलेश पाप, किसी पर झूठा कलंक लगाना ’’अभ्याख्यान पाप’, दूसरों की चुगली करना ’’पैशून्य पाप’, दूसरों का अवर्णवाद (निंदा करना) ’परपरिवाद पाप’ , पांच इंद्रियों के 23 विषयों में से मनोज्ञ वस्तु पर प्रसन्न होना, अमनोज्ञ वस्तु पर नाराज होना ’’रति अरति पाप’’, कपट सहित झूठ बोलना ’’मायामृषावाद पाप’’, असाधु को साधु समझना, कुदेव को कुगुरु, कुधर्म पर श्रद्धा रखना ’’मिथ्यादर्शन पाप’’ कहलाता है। इन पापों को छोड़ देने से ही जीव की मुक्ति संभव होता है।
रविवार को साध्वीवृंद ने मृषावाद पाप का वर्णन करते हुए कहा कि परमात्मा ने झूठ, असत्य, अशोभनीय भाषा का उपयोग करने से, वाणी व वचनों का दुरुपयोग करने, अहितकारी बात बोलने से पाप का बंधन होता है। उन्होंने कहा कि शब्द व वचनों की अपनी गरिमा व महिमा होती है। शब्दों व वचनों का सही उपयोग से सुख व स्वर्ग तथा गलत उपयोग करने पर दुख व कष्ट, होता है तथा नरक मिलता है। क्रोध, लोभ, मान,माया व भय के कारण लोग झूठ बोलते है । शब्द,वाणी व वचनों में देवी सरस्वती रहती है। हितकारी, मधुर व सत्य बोलने से देवी सरस्वती की कृपा मिलती है ।

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