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बीकानेर जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ की साध्वीश्री मृगावतीश्रीजी म.सा.व नित्योदयाश्रीजी ने सोमवार को रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में चातुर्मासिक प्रवचन में सप्त व्यसनों से बचने तथा सप्त उत्तम क्षेत्रों को चुनने का संदेश दिया।
सप्त व्यसन में झूठ,चोरी, शिकार, मांस, मदिरा भक्षण, परस्त्री गमन व वैश्या गमन से व्यक्ति का शारीरिक, मानसिक व आर्थिक पतन होता है। व्यसनी, परिवार व समाज की नजरों में गिर जाता है तथा अनेक पाप बंधनों का बंधन करता है। हंस-हंस कर किए गए सात व्यसनों के पापों को उसको रो-रो कर भुगतना पड़ता है। उन्होंने कहा कि सद््बुद्धि रखे तथा व्यसनों को हर काल व परिस्थिति में बचने का प्रयास करें।
उन्होंने कहा कि साधु-साध्वी, श्रावक-श्राविका, मंदिर, मूर्ति व ज्ञान सप्त उतम क्षेत्र है। इन उत्तम क्षेत्रों का सम्मान करें। सप्त क्षेत्रों के बीज बोने, साधु-साध्वी, श्रावक-श्राविका, मंदिर व परमात्मा की मूर्ति व ज्ञान का सम्मान करने से पुण्यों का अर्जन व पापों का विसर्जन होगा। पुण्यों का अर्जन करने से सुख व पापों का संचय करने से दुख की प्राप्ति होती है। जैन धर्म मूल आधार पाप कर्मां से बचने तथा पुण्यकर्मों अर्जित करना है ।

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