बीकानेर,बीकानेर के राजकीय डूंगर कॉलेज की स्नातक छात्रा अवनी ज्याणी ने दक्षिणी अफ़्रीकी देश नामीबिया की राजधानी विंडहोक में आयोजित आईपीबीएस (इंटरगवर्नमेंटल साइंस-पॉलिसी प्लेटफॉर्म ऑन बायोडायवर्सिटी एंड इकोसिस्टम सर्विसेज) युवा कार्यशाला में भाग लेकर भारत का गौरव बढ़ाया। इस कार्यशाला के लिए दुनिया भर से मात्र 25 युवाओं को ही चुना गया और भारत से एकमात्र अवनी का ही चयन हुआ । उल्लेखनीय है कि इन 25 युवाओं में अवनी सबसे कम उम्र की प्रतिभागी थीं।
अवनी को इंग्लैंड की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा एशिया प्रशांत क्षेत्र से एकमात्र युवा के रूप में उनकी पर्यावरणीय गतिविधियों के लिए नामांकित किया गया था। अवनी ने कार्यशाला में नेचर पॉजिटिव यूनिवर्सिटी (एनपीयू ) नेटवर्क की स्टूडेंट एम्बेसडर और पारिवारिक वानिकी की प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया। एनपीयू नेटवर्क संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम और यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड की वैश्विक पहल है।
कार्यशाला के मुख्य बिंदु
इस कार्यशाला का उद्देश्य जैव विविधता संरक्षण के लिए युवाओं को सशक्त बनाना था। इसमें बदहाल पारिस्थितिक तंत्र की बहाली के लिए अभिनव समाधान और सामुदायिक सहभागिता के महत्व पर चर्चा की गई।
प्रतिभागियों ने इंटरएक्टिव सत्रों, व्यवहारिक गतिविधियों और ज्ञान-साझा मंचों में भाग लिया।
अवनी ने पारिवारिक वानिकी अवधारणा के ज़रिए किए जा रहे कार्यों और डाबला तालाब भूमि पुनर्स्थापन अभियान पर प्रकाश डाला। उन्होंने सामुदायिक प्रयासों के माध्यम से जैव विविधता को समृद्ध करने और पारिस्थितिक तंत्र की सेवाओं को बढ़ाने के अपने अनुभव साझा किए। अवनी ने होलिस्टिक हैबिटैट हीलिंग दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि संरक्षणात्मक गतिविधियों में संतुलित और स्थायी परिणाम हासिल किए जा सके ।
कार्यशाला में जैव विविधता संरक्षण को आगे बढ़ाने के लिए एक रोडमैप तैयार किया गया, जिसका मकसद स्थानीय और वैश्विक स्तर पर युवा नेटवर्क को मजबूत करना, पारिवारिक वानिकी जैसे सामुदायिक केंद्रित मॉडल को बढ़ावा देना और युवा नेतृत्व को जैव विविधता नीतियों में बदलाव लाने और पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित करना था ।
अवनी ने कहा कि “इस कार्यशाला ने मुझे सामुदायिक भागीदारी के महत्व को और गहराई से समझने का अवसर दिया। ताकि समग्र दृष्टिकोण अपनाकर हम किस प्रकार पर्यावरणीय संतुलन को बहाल कर सकते हैं और जैव विविधता संरक्षण के लिए वैश्विक जागरूकता बढ़ा सकते हैं।”
चार दिवसीय कार्यशाला कल संपन्न हुई और इसमें वैश्विक स्तर पर युवाओं को पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए। डूंगर कॉलेज के प्राचार्य प्रोफ़ेसर आर के पुरोहित ने बताया कि अवनी की भागीदारी ने न केवल भारत की ओर से पर्यावरणीय प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया, बल्कि पारिवारिक वानिकी जैसे सामुदायिक आंदोलन को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दी है । अवनी की भागीदारी डूंगर महाविद्यालय और पूरे देश के शिक्षा जगत के लिए गर्व की बात है ।