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बीकानेर,आज होली का त्योहार है। होली पूजन और होलिका दहन के लिए रात 9:02 बजे से रात 10:04 बजे के बीच का मुहूर्त है। फाल्गुन शुक्ल चतुर्दशी को पूर्णिमा पर होली का त्योहार मनाया जा रहा है। आज आधी रात तक भद्रा का साया रहेगा। इस कारण होलिका दहन के लिए केवल 72 मिनट का मुहूर्त रहेगा। कल 18 मार्च को रंगों से खेलने का त्योहार धुलंडी मनाया जाएगा।

ज्योतिष परिषद् व शोध संस्थान अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि आज फाल्गुन शुक्ल पक्ष चतुर्दशी है। दोपहर 1 बजकर 30 मिनट पर पूर्णिमा शुरू होगी। जो कल धुलंडी को दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगी। प्रदोष काल में पूर्णिमा होने के कारण आज होली का पर्व मनाया जा रहा है। आज दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से रात 1 बजकर 09 मिनट तक भद्रा भी रहेगी।

शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन में भद्रा टाली जाती है। लेकिन भद्रा का समय अगर निशिदकाल के बाद चला जाता है तो होलिका दहन भद्रा मुख को छोड़कर भद्रा पुच्छ्काल या प्रदोषकाल में करना श्रेष्ठ होता है। इसलिए होलिका का दहन भद्रा के पुच्छकाल में रात 9 बजकर 2 मिनट से रात 10.04 बजे तक करना होगा। इस टाइम पीरियड में 72 मिनट के दौरान होलिका दहन किया जा सकता है।

जिस स्थान पर होलिका दहन करना है। सबसे पहले उसे गंगाजल से शुद्ध करें। फिर सूखे उपले या बड़कुले, सूखी लकड़ी, सूखी घास आदि रखें। पूर्व दिशा की तरफ मुंह करके गाय के गोबर से होलिका और भक्त प्रहलाद की प्रतिमाएं बनाएं। साथ में नृसिंह की पूजा करें। पूजा के समय एक लोटा जल, फूलमाला, चावल, रोली,मोली,ईत्र, साबुत मूंग, 7 तरह के अनाज, फूल, कच्ची सूत, गुड़, साबुत हल्दी की गांठ, पताशे, गुलाल, पकवान-मिठाई और नारियल रखें। साथ में पूजा में नई फसलें या उपज भी समर्पित करने के लिए रखी जाती हैं। हरे चने (होले) की बालियां भी रखी जा सकती हैं। कच्चे सूत को होलिका के चारों तरफ 3 या 7 परिक्रमा करते हुए लपेटें। फिर सभी पूजन सामग्री होलिका दहन के समय अग्नि में अर्पित करें। पूजन के बाद अर्घ्य जरूर दें।

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