
बीकानेर,जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ व तपागच्छ श्रीसंघ का पर्युषण पर्व बुधवार को जैन धर्मग्रंथ ’’कल्पसूत्र’ के मूल पाठ के श्रवण, पौषध, संवत्सरि प्रतिक्रमण, चैत्य परिपाटी के तहत जिनालयों में पूजा, दर्शन व वंदन के साथ संपन्न हुआ। जैन श्वेताम्बर पार्श्वचन्द्र गच्छ संवत्सरि महापर्व गुरुवार को साध्वीश्री पद्म प्रभा व सुव्रताश्रीजी के सान्निध्य में मनाया जाएगा।
ढढ्ढा कोटड़ी व तपागच्छीय उपासरा श्रावक-श्राविकाओं ने पौषध की साधना के तहत उपासरों मेंं सुबह से शाम तक रहकर मुनि व साध्वी वृंद जैसे नियमों की पालना की । नवंकार महामंत्र के जाप के साथ स्वाध्याय किया। उपवास, एकासना, बयासना, तेला, चौला, पांच, अट्ठाई तथा अनेक तपस्याएं की। वरिष्ठ श्रावक कन्हैयालाल भुगड़ी ने बुधवार को चौविहार बिना अन्न जल के 62 दिन का उपवास पूर्ण किया। जैन बंधुओं ने अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान व कार्यों पर अवकाश रखा तथा एक दूसरे से मिलकर जाने अन्जाने में वर्ष भर में हुए गलतियों व भूलों के लिए क्षमा याचना की।
बारासा सूत्र का वांचन- गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर म.सा. ने चातुर्मास स्थल ढढ्ढा कोटड़ी में, मुनि मंथन प्रभ सागर, मीत प्रभ सागर तथा बड़ी संख्या में उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं की साक्षी में कल्पसूत्र के मूल पाठ को बारास सूत्र सुनाया। बारासा सूत्र को बाड़मेर के कपिल कुमार, भूरचंद व सूरजमल भंसाली परिवार ने गणिवर्य म.सा. को वांचन के लिए प्रदान किया। पूर्व में मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधि ज्ञान, मन्य पर्याय ज्ञान तथा केवल्य ज्ञान की पूजा की गई। गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर म.सा. ने कहा कि पर्युषण महापर्व व कल्पसूत्र के संदेशों के मर्म को समझें तथा उसके अनुसार जीवन बनाएं। संयम, तप, क्षमा और सम्यक, ज्ञान,दर्शन व चारित्र की पालना करते हुए आत्मा व परमात्म चिंतन करें। अपने आचरण को शुद्ध बनाएं तथा पापों से बचें । देव, गुरु व धर्म के संदेशों की पालना करें तथा अधिकाधिक जप, तप, साधना, आराधना व परमात्म भक्ति करें तथा मोक्ष का लक्ष्य रखे।
तपागच्छ पौषधशाला – रांगड़ी चौक की तपागच्छीय पौषधशाला में साध्वीश्री दीपमाला व शंखनिधि ने कल्पसूत्र के मूलपाठ बारासा सूत्र की वांचना करते हुए कहा कि आत्म चिंतन, संयम व क्षमा की भावना को जागृत करें तथा तीर्थंकरों के जीवन प्रसंगों, संदेशों व आदर्शों के श्रवण के पश्चात अपने जीवन में परिवर्तन करें। संवत्सरि पर्व ’’मिच्छामी दुक्कड़म का संदेश देती है। जिसका अर्थ है मेरे अपराध क्षमा हो। संवत्सरी पर्व पर राग-द्वेष को भूलकर मन, वचन व काया से क्षमा करें । जाने अनजाने में हुई गलतियों व भूलों का प्रायश्चित करें तथा दोबारा गलती नहीं हो इसके प्रयास करें। आंतरिक शांति, करुण, मैत्री की भावना को बढ़ाएं। आत्म शुद्धि, धार्मिक व आध्यात्मिक चेतना जागृति के लिए क्षमापना, मैत्री व सद्भावना, अहिंसा, अपरिग्रह और अनेककांतवाद के सिद्धान्तों की पालना करें।
शोभायात्रा-गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर, मंथन प्रभ सागर, मीत प्रभ सागर की अगुवाई में निकली चैत्य परिपाटी व तपस्वियों की शोभायात्रा रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे के पास तपागच्छीय पौषधशाला से साध्वी दीपमाला व शंखनिधि के शामिल होने से वृहद रूप ले लिया। गाजे बाजे से निकली शोभायात्रा में शामिल चतुर्विद संघ ने नाहटा चौक के भगवान आदिनाथ, बैदों के चौक के भगवान महावीर स्वामी तथा भुजिया बाजार के भगवान चिंतामणि मंदिर में दर्शन किए। शोभायात्रा में 62 दिन चौविहार बिना अन्न जल के तपस्या करने वाले कन्हैयालाल भुगड़ी, 45 दिन की सिद्धि तप की तपस्वी कोमल नाहटा, किरण बुच्चा, झझू के गंगाशहर निवासी 10 की तपस्या करने वाले दीपक सेठिया, मौन तपस्या करने वाली प्रतिभा भुगड़ी, मान्या पारख बग्गी पर सवार थे। अक्षय निधि तप के चांदी के कलश को मुख्य लाभाथी श्रीमती संगीता कोठारी पत्नी ओम प्रकाश कोठारी व अन्य तपस्वी श्राविकाएं अपने सिर पर लिए हुए चल रही थी। इनके अलावा आठ दिन की तपस्या करने बाड़मेर के ललित सिंघवी, कौशल सुराणा, अशोक बोथरा, गुलाब बांठिया, ज्योति नाहटा, विजेता श्रीश्रीमाल, रक्षित पारख, दर्शन दफतरी, अनामिका सेठिया आदि नवंकार महामंत्र का जाप करते हुए पैदल चल रहे थे। शोभायात्रा में श्रावक-श्राविकाएं देव,गुरु व धर्म का जयकारा लगा रहे थे।
पार्श्वचन्द्र गच्छ श्रीसंघ- साध्वीश्री पद्म प्रभा के सान्निध्य में गुरुवार को सुबह आठ बजे आसानियों के चौक के बड़े रामपुरिया उपासरे में वयोवृद्ध साध्वीश्री सुव्रताश्रीजी कल्पसूत्र के मूलपाठ बारासा सूत्र का वांचन करेंगी। बुधवार को उन्होंने कल्पसूत्र के प्रसंगानुसार भगवान पार्श्वनाथ, नेमीनाथ आदि तीर्थंकरों के जीवन आदर्शों का स्मरण दिलाया । जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक पार्श्वचन्द्र गच्छ संघ के अध्यक्ष रविन्द्र रामपुरिया व मंत्री प्रताप रामपुरिया ने बताया कि गुरुवार को अनेक श्रावक-श्राविकाएं उपासरे में बैठकर साधु-साध्वी जैसी साधना (पौषध) करेंगे। सामूहिक संवत्सरि प्रतिक्रमण होगा। बारासा सूत्र के समापन पर रामपुरिया मोहल्ले के भगवान महावीर स्वामी के मंदिर में दर्शन वंदन करने के बाद चैत्य परिपाटी के तहत गाजे बाजे से बैदों के महावीर जी, चिंतामणि जी के मंदिर में दर्शन वंदन किया जाएगा। महावीर स्वामी के मंदिर में पर्युषण के दौरान पिछले 7 दिनों से नियमित विशेष अंगी व पूजा की गई ।