Trending Now












बीकानेर,आमजन की बदलती लाइफ स्टाइल, बढ़ता प्रदूषण और प्रदेश में खेजड़ी के परागकण अस्थमा को पैर पसारने में मददगार बन रहे हैं। पिछले कुछ सालों से अस्थमा के रोगियों की संख्या के साथ-साथ मौत का ग्राफ बढ़ रहा है। बड़ी हैरत की बात है कि प्रदेशभर में 26 लाख लोग अस्थमा से पीडि़त हैं। अकेले बीकानेर जिले में 3 लाख 92 हजार लोग अस्थमा की चपेट में हैं। अस्थमा से सर्वाधिक युवा लोग ज्यादा ग्रसित हैं, जिनकी उम्र 25 से 35 के बीच हैं।

मरने वालों का आकंड़ा भारत का ज्यादा
भारत में 3 करोड़ 43 लाख लोग अस्थमा से पीडि़त हैं। दुनियाभर में अस्थमा से जितने लोगों की मौत होती है, उनमें भारत के 42 प्रतिशत लोग शामिल हैं। दुनियाभर में हर साल 4 लाख 61 हजार लोगों की अस्थमा से मौत होती है। भारत में करीब 2 लाख लोगों की मौत होती है। बीकानेर जिले में भी अस्थमा से मरने वालों की संख्या कुछ कम नहीं है। यहां हर साल करीब 140 लोग मर रहे हैं। चिकित्सकों की मानें तो अस्थमा से दुनियाभर में मौत घट रही है जबकि भारत में बढ़ रही है।

ओपीडी में हर चौथा व्यक्ति अस्थमा पीडि़त
एसपी मेडिकल कॉलेज से संबद्ध पीबीएम अस्पताल के श्वसन रोग विभाग की ओपीडी में पहुंचने वाले मरीजों में हर चौथे व्यक्ति को अस्थमा की शिकायत है। यहां अक्सर देखा गया है कि जो व्यक्ति अस्थमा पीडि़त है, इसके बावजूद मरीज लापरवाही बरतते हैं। मरीज इन्हेलर नहीं लेते हैं और गंभीर िस्थति में पहुंच जाते हैं, जिन्हें आईसीयू में भर्ती करना पड़ता हैं। पीबीएम में हर माह गंभी िस्थति में होकर 10 से 12 मरीज पहुंचते हैं जो चिकित्सकों की मेहनत से वापस रिकवर हो पाते हैं। श्वसन रोग विभाग के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने बताया कि बीकानेर जिले में अस्थमा बढ़ने की वजय डस्ट माइट, बढ़ता प्रदूषण और खेजड़ी के पेड़ों के परागकण हैं। जिले में खेजड़ी बहुतायत में है, जिनके परागकण की वजह से ग्रामीण क्षेत्र के लोग अस्थमा के ज्यादा शिकार हो रहे हैं।

अस्थमा बढ़ने कारण
मरीज इन्हेलर का उपयोग करने से कतराते हैं
इन्हेलर को लेकर समाज में व्याप्त भ्रांतियां
अस्थमा का पूरा इलाज नहीं लेते हैं। लोगों का मानना है कि अस्थमा की दवा एक बार शुरू हो गई तो उम्रभर लेनी पड़ेगी। इन्हेलर का उपयोग करने से अस्थमा बढ़ता है।
इन्हेलर से दवा लेने का प्रशिक्षित नहीं होने से दवा कब, कितनी और कैसे लेनी है, इसका ज्ञान नहीं होने से बीमारी बढ़ती है। दवा कम और ज्यादा नहीं करते हैं।
अस्थमा में आराम मिलते ही मरीज इन्हेलर से दवा लेना बंद कर देते हैं।
अस्थमा के मरीज को सर्वाधिक तकलीफ अक्सर सुबह चार से छह बजे के बीच होती है।

अस्थमा के लक्षण
सुखी खांसी आना
छाती में जकड़न
सांस में सिटी बजना
लंबे समय तक जुकाम, छींके आना

अस्थमा के उत्प्रेरक
वंशाुनुगत
वायरल संक्रमण
प्रदूषण का बढ़ना
बदलते मौसम का असर
नमी, धुआं, धूल-मिट्टी, डस्ट माइट, ठंड और राजस्थान में खेजड़ी के परागकण।

एक नजर में …
पीबीएम अस्पताल के श्वसन रोग विभाग में हर साल पहुंचते है 20000 मरीज
पांच साल में पहुंचें 100000
हर साल मौत 138-140 मरीज
पांच साल में मौत 700
बीकानेर की जनसंख्या 24 लाख
जिले में मरीज 3 लाख 92 हजार अस्थमा मरीज
मरीजों का प्रतिशत 7.5

राजस्थान की जनसंख्या सात करोड़ लाख
राजस्थान में मरीज 26 लाख अस्थमा मरीज
हर साल मौत 15265
मरीजों का प्रतिशत 5.71 (औसतन आंकड़ा)

चिंता की बात
अस्थमा एक गंभीर बीमारी है, जिसे हल्के में नहीं लेवें। भारत में करीब पौन चार करोड़ अस्थमा पीडि़त हैं। दुनियाभर में अस्थमा से जितने लोगों की मौत होती है, उनमें भारत के 42 प्रतिशत लोग शामिल हैं। बीकानेर जिले में करीब चार लाख अस्थमा पीडि़त हैं। अस्थमा रोगियों में इलाज को लेकर भ्रांति है, जिसे दूर करना जरूरी है। यह चिंता की बात है कि लोग अस्थमा के प्रति जागरूक नहीं हैं।
डॉ. गुंजन सोनी, प्राचार्य एसपी मेडिकल कॉलेज एवं प्रोफेसर, श्वसन रोग विभाग पीबीएम अस्पताल

Author