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बीकानेर,स्वामी कृष्णानंद गिरी महाराज की 33वीं पुण्यतिथि रत्नेश्वर राज रंगों की बगेची में मनाई गई। महाराजश्री की पुण्यतिथि पर पंडित जुगल किशोर ओझा के आचार्यत्व में आरंभ हुई तत्पश्चात् श्रद्धांजलि सभा एवं भंडारा शुरू किया गया। श्रद्धाजंलि सभा एवं भंडारे में धर्मगुरुओं, साहित्यिक समाज के साथ राजनीतिक हस्तियाँ भी सम्मिलित हुए।
कार्यक्रम में स्वामी विर्मशानंद महाराज ने गुरु महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि गुरु दीपक के जैसे होते है जो अज्ञान के अंधकार को मिटाकर आत्मज्ञान का प्रकाश प्रज्जवलित करते है। गौरतलब रहें कि स्वामी कृष्णानंद गिरी महाराज की श्रद्धाजंलि सभा एवं भंडारे का कार्यक्रम उनके शिष्यों के सामूहिक प्रयासों का सुखद परिणाम है।
इस मौके पर नारायण दास रंगा “ शेरे “ ने बताया कि संतों का जीवन स्वयं एक ग्रंथ के जैसा होता है जिसे पढ़कर हर जिज्ञासु को सकारात्मक मार्ग सहज उपलब्ध हो जाता है। रंगा राजस्थानी राहुल ने कहा कि किसी भी संत की सच्ची श्रद्धांजलि तब होती है जब हम उस संत के जीवन चरित्र को अपने जीवन में आत्मसात करते है। कथनी और करनी में अंतर रखना ही पाप है। इस अवसर पर शक्ति रतन रंगा, नंद किशोर रंगा, अश्विन कुमार रंगा ने आध्यात्मिक अनुभव साझा किये।
इस अवसर पर विष्णु दत्त रंगा, संजय रंगा, साहिल रंगा , कैलाश पुरोहित, शिव कुमार रंगा (पूर्व पार्षद), गोपाल दास रंगा (रंगाश्री ), राजेन्द्र रंगा, गिरिराज रंगा, नूतन रंगा, धनराज रंगा, बिंदू रंगा, डूँगरदत्त रंगा, नरेश रंगा, शिवरतन रंगा, आलू रंगा सुरेन्द्र रंगा (हे! शिव) नारायण रंगा (रूपजी) महेश बोहरा, मालचंद तिवाडी, राजेन्द्र जोशी, हरिशंकर आचार्य, गोकुल जोशी, नवल व्यास, संजीव गर्ग, अशोक व्यास, रामकुमार हर्ष, बंटी व्यास, मनोज व्यास, शिवजी रंगा, सुरेन्द्र व्यास, पप्पू जोशी आदि ने महाराजश्री के तैल चित्र पर पुष्पाजंलि अर्पित की एवं आशीर्वाद प्राप्त किया।

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