Trending Now












बीकानेर, लघु कथा लेखन बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य है। इसमें बहुत कम शब्दों में पाठकों के मन-मस्तिष्क में कथानक उतारना होता है। यदि लघु कथा में कसावट नहीं होती तो इसके साथ न्याय नहीं हो पाता। शब्दों का अनावश्यक उपयोग भी इसे पाठकों से दूर करता है। अशोक रंगा की लघु कथाएं इन मानकों पर खरी उतरी हैं। इनमें सामाजिक विद्रूपताओं पर गहरी चोट की गई है।
अजित फाउण्डेशन सभागार में रविवार को मुक्ति संस्थान की ओर से अशोक रंगा के लघु कथा संग्रह ‘स्मृति में परिवेश’ के लोकार्पण समारोह के दौरान वक्ताओं ने यह उद्गार व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवयित्री डॉ. वत्सला पांडे ने की। उन्होंने कहा कि यह लघु कथाएं अनुभव मूलक हैं। यह संवेदनाओं से उपजती हैं। रचनाकार ने समाज में जो-जो देखा उसका बेहतरीन उल्लेख इन रचनाओं में किया गया है।
मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि यह लघुकथाएं भाव और संवेदनाओं से भरी रचनाएं हैं। विषयों की विविधिता इनकी सबसे बड़ी खूबी है। रंगा ने अपनी लेखनी के माध्यम से समाज की विसंगतियों का अहसास करवाया है। समस्याएं रखी हैं और इनके निदान के उपाय भी सुझाए हैं।
लघुकथाकार नदीम अहमद नदीम ने कहा कि इन लघु कथाओं के कथानक दिल-दिमाग पर गहरी छाप छोड़ते हैं। इनमें करारे व्यंग्य हैं तो कहीं-कहीं सपाटबयानी ने भी गहरे अर्थ उजागर किए हैं। उन्होंने लघु कथा विधा के इतिहास के बारे में बताया।
विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए हरि शंकर आचार्य ने कहा कि रंगा ने लघुकथाओं में एक से अधिक दृश्यों का प्रभावी संयोजन किया है। इनमें मानव जीवन के समक्ष आने वाली विभिन्न चुनौतियों का चित्रण है।
डॉ. रेणुका व्यास ‘नीलम’ ने पत्रवाचन किया। उन्होंने पुस्तक में संकलित 65 लघु कथाओं की विभिन्न विशेषताओं के बारे में बताया।
खेल लेखक मनीष कुमार जोशी ने स्वागत उद्बोधन दिया।
इससे पहले अतिथियों ने ‘स्मृति में परिवेश’ पुस्तक का विमोचन किया। रंगा ने पहली पुस्तक अपने अग्रज अरविंद रंगा को भेंट की।
आत्मा राम भाटी ने आभार जताया।
कार्यक्रम का संचालन संजय पुरोहित ने किया।
इस दौरान डॉ. अजय जोशी, दिनेश चंद्र सक्सेना, डॉ. फारुख चौहान, जुगल पुरोहित, शशांक शेखर जोशी, मनोज व्यास, शिव शंकर व्यास, कासिम बीकानेरी, महेन्द्र रंगा, संजय श्रीमाली, जगदीश किराडू, राकेश बिस्सा, अरमान नदीम, गौरव रंगा आदि मौजूद रहे।

Author