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बीकानेर,पृथ्वी की पुकार’ की कविताएं निश्छल हैं। इनमें कथ्य एवं शिल्प का सुंदर गठजोड़ है तथा विषयों में वैविध्यता है, तो ‘सोने का पिंजरा’ की कहानियां आधी आबादी की अंतश्चेतना को जगाने वाली हैं। यह विभिन्न भावों और रंगों से सजे गुलदस्ते जैसी हैं।

रविवार को मुक्ति संस्थान की ओर से अजित फाउण्डेशन सभागार में अशोक रंगा के काव्य संग्रह ‘पृथ्वी की पुकार’ और वंदना पुरोहित के कहानी संग्रह ‘सोने का पिंजरा’ के विमोचन के दौरान वक्ताओं ने यह बात कही। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एचसीएम रीपा के अतिरिक्त निदेशक अरुण प्रकाश शर्मा थे। उन्होंने कहा दोनों लेखकों ने अपनी रचनाओं के साथ न्याय किया है। इनमें सामाजिक विदू्रपताओं के विरूद्ध आवाज उठाई गई है। कहानियां संदेशपरक हैं, तो कविताओं का भाषा विन्यास सरल होना, इनकी सबसे बड़ी विशेषता है।
अध्यक्षता करते हुए कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि कहानियां हमारे इर्द-गिर्द घटी घटनाओं और सामयिक विषयों पर आधारित हैं। इनमें कुरीतियों पर चोट है, तो महिलाओ को आगे बढ़ाने की जिजिविषा है। वहीं प्रत्येक कविता संदेशपरक है तथा सीधे पाठक के मन में उतरने वाली है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए डॉ. रेणुका व्यास ‘नीलम’ ने कहा कि कहानियां महिला सशक्तीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि महिलाएं जब तक स्वयं नहीं चाहेंगी, आगे नहीं आ पाएंगी। महिलाओं को आगे बढ़ना है, तो पंख फैलाने होंगे। उन्होंने कहा कि यह अनुभव आधारित रचनाएं हैं, जिनसे युवा पीढ़ी को सीखना चाहिए।
इससे पहले अतिथियों ने दोनों पुस्तकों का विमोचन किया। महेन्द्र रंगा ने स्वागत उद्बोधन दिया। राजाराम स्वर्णकार ने ‘पृथ्वी की पुकार’ और डॉ. कृष्णा आचार्य ने ‘सोने का पिंजरा’ पुस्तक पर पत्रवाचन किया। इस दौरान वरिष्ठ साहित्यकार मधु आचार्य ‘आशावादी’ और मालचंद तिवाड़ी का सम्मान किया गया। वंदना पुरोहित ने पुस्तक की पहली प्रति अपनी मां श्रीमती ललिता व्यास को भेंट की। आभार मनीष जोशी ने जताया। कार्यक्रम का संचालन हरि शंकर आचार्य ने किया।
*इनकी रही मौजूदगी*
कार्यक्रम में डॉ. अजय जोशी, दिनेश चंद्र सक्सेना, जुगल किशोर पुरोहित, हरीश बी. शर्मा, आंनद व्यास, राजीव पुरोहित, गिरिराज व्यास, शशिकला रंगा, रंजना रंगा, फाल्गुनी पुरोहित, विष्णु जोशी, मनोज पारीक, रमाकांत व्यास, राजेश रतन व्यास, जगदीश किराडू, राजेन्द्र पुरी, राकेश बिस्सा, मनीष आचार्य, महिमा व्यास आदि मौजूद रहे।

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