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बीकानेर,साल था 1977 इमरजेंसी के दौर के बाद चुनावों में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा। एक साल बाद 1978 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी फिर चुनाव मैदान में थी। इंदिरा गांधी ने कर्नाटक के चिकमंगलूर से चुनाव लड़ा था। उनके प्रचार और चुनाव की व्यवस्थाओं के लिए देशभर से कई कांग्रेसी नेता-कार्यकर्ता चिकमंगलूर पहुंचे हुए थे। इनमें एक 27 साल का लड़का भी था।

चुनाव प्रचार व मैनेजमेंट के लिए कार्यकर्ताओं को कुछ रुपए दिए गए थे। इंदिरा ने चुनाव में जीत दर्ज की। परिणाम आने के कुछ दिन बाद वही 27 साल का लड़का इंदिरा गांधी के सामने खड़ा था। इंदिरा गांधी के सामने अपना हाथ बढ़ाकर कहा- ‘ये 300 रुपए! आपके चुनाव प्रचार में बच गए थे।’

उस 27 साल के लड़के का नाम था अशोक गहलोत ।

पहली मुलाकात में ही इंदिरा की नजर में गहलोत की छवि एक ईमानदार और विश्वसनीय कार्यकर्ता की बन गई। 44 साल में गांधी परिवार में कई पावर सेंटर बदले, लेकिन गहलोत की ईमानदार और विश्वसनीय कार्यकर्ता की छवि कायम है। यही वजह है कि जब 24 साल बाद कांग्रेस ने गैर गांधी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का फैसला किया तो उसमें अशोक गहलोत का ही नाम सामने आया।

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