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बीकानेर। हींग वह मसाला है जो भारत में आम घरों की रसोई में नियमित खाद्य सामग्री में उपेयोग में ली जाती है। यह दाल व सब्जियों का स्वाद बढ़ाने वाली एवं हाजमा ठीक रखने वाली है। इसे कई औषधिय गुणों के कारण आयुर्वेदिक दवाओं में भी इस्तेमाल किया जाता है। अब हींग के तेवर तेज होने से पापड़-सब्जी का जायका बिगड़ गया है। अफगानिस्तान में तालिबान के शासन में आने के बाद हींग के भाव आसमान छू रहे हैं। हींग की कीमत लगभग दो से तीन गुना हो गई है। इसके बावजूद खपत के मुताबिक हींग की आपूर्ति नहीं हो रही। एक अनुमान के मुताबिक बीकानेर जिले में हर माह ५५ टन हींग की खपत होती है लेकिन, वर्तमान में ३५ टन की आपूर्ति हो रही है, जिससे हींग बाजार में मांग के अनुसार लोगों को मिल नहीं रही। हींग सब्जियों व पापड़ का स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ भोजन पचाने, पेट संबंधी बीमारियां जैसे गैस, एसीडीटी की शिकायत को दूर करता है। इसके कई अन्य गुणों के कारण हींग का औषधियों में भी उपयोग किया जाता है।

यह सबसे हींग का गणित
सब्जी में डालने वाला हींग पौधे से बनता है। हींग के पौधे से पाउडर वाला हींग बनाया जाता है। खाने वाला हींग इस पौधे की जड़ से बनता है। विश्वभर में हींग की करीब १३० किस्मे हैं। बीज बोने के चार से पांच साल बाद वास्तविक उपज होती है। एक पौधे से करीब आधा किलो हींग निकलता है।

यहां-यहां से आती है हींग
भारत में हींग की खपत अधिक है। यहां अफगानिस्तान, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान व ईरान से हींग आती है। ७० प्रतिशत से अधिक हींग की पैदावार अफगानिस्तान में होती है।
हींग की किस्में

ईरानी हडड़ा, ताजिकी, पिनैक्सी, उजबेकी नुकरा, काबली, साहबंदी, हींग व हिगड़ा। हींग का अधिकतर उपयोग पापड़, नमकीन, औषधि में किया जाता है। इसके अलावा घरों में तो यह भोजन में नियमित रूप से काम में ली जाती है।

इसलिए महंगी हो गई हींग
इस बार हींग के भाव तीन गुना से अधिक है। इसकी वजह तालिबान का अफगानिस्तान पर हमला है। वहां अशांति के कारण हींग की पर्याप्त कटाई नहीं हो पा रही है। इससे हींग की खपत के अनुसार आपूर्ति नहीं होने से भाव दो से तीन गुना बढ़ गए हैं।

हींग के भाव
हींग पहले अब (रुपए प्रति किलो)
ताजिकी ८००० से १2००० अब १४००० से १८०००, उजबेकी नुकरा १५००० से १६००० अब 24००० से 2६०००, हडड़ा ६५०० से ७००० अब ११००० से 12०००, ताजिकी ८००० से १३००० अब १४००० से १८०००, पिनैक्सी ५००० से ७००० अब ९००० से ११०००, साहबंदी ८००० से ९००० अब १४००० से १५०००, हिंगड़ा 25०० से ३००० -४५०० से ५०००
इनका कहना है…
अफगानिस्तान में हमले के बाद से बीकानेर में हींग की आपूर्ति खपत के अनुसार नहीं हो रही है, जिससे बेहद परेशानी है। हींग के भाव दो गुना बढ़ा दिए गए हैं। खपत के अनुसार आपूर्ति नहीं होने से व्यापार पर असर पड़ रहा है। बीकानेर में सर्वाधिक पापड़ बनाने में हींग का उपयोग किया जाता है।
रमेश कुमार बिस्सा, हींग व्यापारी

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