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बीकानेर,सर्दियों का मौसम शुरू होते ही शहर के गली-मोहल्ले, बाजार और मुख्य मार्ग घेवर फीणी की से महकने शुरू हो गए हैं। स्थायी और अस्थायी खुशबू दुकानों पर सुबह से रात तक घेवर-फीणी बनने के साथ इनकी बिक्री भी शुरू हो गई है।

इन दिनों लोग करते प्रमुखता से उपयोग

शहर में सर्दियों के मौसम में घर-घर में घेवर-फीणी का उपयोग प्रमुखता से होता है। मकर संक्रांति पर घेवर फीणी के दान पुण्य की विशेष परम्परा है। लोग बहन बेटियों के ससुराल भी घेवर फीणी भेजते हैं।

घेवर के कई आकार

दुकानों और मिठाई के कारखानों में कई इंच आकार के घेवर तैयार किए जाते हैं। मिठाई व्यवसायियों के अनुसार मुख्यतया चार ईंच से लेकर सोलह इंच आकार तक के घेवर तैयार किए जाते हैं। लोग अपनी आवश्यकता के अनुसार इनकी खरीदारी करते हैं।

मलाइदार घेवर की मांग, नमकीन घेवर के भी शौकीन

दान-पुण्य में मुख्यतया बिना रबड़ी व मलाई लगे घेवर का अधिक उपयोग होता है। घेवर खाने के शौकिन लोग मलाई व रबड़ी लगे घेवर को अधिक पसंद करते है। हलवाई कार्य से आनन्द ओझा है। बताते हैं कि नमकीन घेवर के भी लोग शौकिन है। मैदा में काला नमक,अजवायन, काली मिर्च, साबुत धनिया, सफेद नमक मिलाकर नमकीन घेवर बनाए जाते

शादी विवाह मैन्यू में शामिल

सर्दियों के दिनों में होने वाले शादी
विवाह आयोजनों में भी घेवर मॅन्यू में शामिल होता है। कई लोग मौसम के अनुकूल मिठाई होने के कारण घेवर विशेष रूप से मैन्यू में शामिल करते हैं। वहीं गोठो और पाटो तथा धूणों पर देर रात तक चलने वाली
आपसी चर्चाओं के दौरान भी होने वाले खान-पान में घेवर और फीणी प्रमुखता से शामिल होते हैं।

दान-पुण्य की परम्परा

मकर संक्रांति पर लोग घेवर और
फीणी का दान पुण्य में विशेष उपयोग करते हैं। बहन-बेटियों के ससुराल घेवर और फीणी भेजने की परम्परा है। हर साल मकर संक्रांति पर 5, 7, 9, 11 और 21 की संख्या में बहन बेटियों के ससुराल घेवर भेजे जाते है। मलमास के दौरान शहर में लगभग हर मोहल्ले और चौक चौराहों पर इनकी अस्थायी दुकानें भी लगती है। जहां बड़ी संख्या में इनकी बिक्री होती है।

इनसे बनते हैं घेवर-फीणी

सर्दियों के दिनों में बनने वाले घेवर मैदा, घी और चीनी की चासनी से तैयार होते है। इस सामग्री में दूध मिक्स कर भी घेवर बनाए जाते है। चासनी लगे व • बिना चासनी लगे घेवर के साथ साथ रबड़ी लगे घेवर भी लोगों की ओर से विशेष पसंद किए जाते है। मैदा और घी से फीणी बनती है। तैयार फीणी को मीठी बनाने के लिए चीनी की चासनी का उपयोग होता है। जहां घेवर सुबह से रात तक बनते रहते हैं वहीं फीणी सर्वियों की रात में ही तैयार की जाती है।

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