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Jaipur: राजस्थान में राजनीतिक नियुक्तियों की दूसरी सूची जारी होने के साथ ही कांग्रेस नेताओं कार्यकर्ताओं में असंतोष के स्वर भी सुनाई दे रहे हैं. पायलट कैंप के दो नेताओं ने जहां मनमाफिक राजनितिक नियुक्ति नहीं मिलने पर नियुक्ति स्वीकार करने में असमर्थता जतायी है वहीं एक महिला कांग्रेस नेता ने राजनीतिक नियुक्तियों में ज़िम्मेदारी नहीं मिलने पर महिला कांग्रेस के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया है.

पायलट कैंप के भरोसेमंद नेता कहे जाने वाले सुशील आसोपा और राजेश चौधरी को इस राजनीतिक नियुक्तियों में जगह तो मिली है, लेकिन दोनों नेताओं को किसी बोर्ड आयोग प्रमुख या उपाध्यक्ष की ज़िम्मेदारी मिलने की बजाए अलग-अलग आयोगों में सदस्य बनाया गया है. यही वजह है कि दोनों नेताओं ने सोशल मीडिया के ज़रिए अपने पद को स्वीकार करने में असमर्थता व्यक्त की है.सुशील आसोपा को जहां बंजर भूमि चारागाह विकास बोर्ड में सदस्य बनाया गया है वहीं राजेश चौधरी को बीसूका राज्य स्तरीय कमेटी का सदस्य बनाया गया है.

 

दोनों ही नेताओं को अहम ज़िम्मेदारियों की उम्मीद थी लिहाज़ा नियुक्तियों के ऐलान के बाद सुशील आसोपा ने ट्वीट करते हुए लिखा ‘नियुक्ति में मेरी सहमति नहीं ली गई। मैं 42 महीने की नौकरी छोड़कर पदों के लिए कांग्रेस में नहीं आया। जीवन भर निस्वार्थ सेवा करता रहूंगा’

 

जबकि सोशल मीडिया पर राजेश चौधरी ने लिखा- ‘कांग्रेस आला कमान ने मुझे राजनीतिक नियुक्तियों के ज़रिए जो ज़िम्मेदारी दी है उसके लिए मैं कांग्रेस आलाकमान का आभार जताता हूँ धन्यवाद देता हूं. मैं अपरिहार्य कारणों से ये ज़िम्मेदारी लेने में असमर्थता व्यक्त करता हूँ आग्रह करता हूँ कि मेरे स्थान पर किसी सक्रिय कांग्रेस कार्यकर्ता को मौक़ा दिया जाए ऐसा किए जाने पर मैं कांग्रेस आलाकमान का आभारी रहूँगा मैं कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में पार्टी के लिए हमेशा उपलब्ध रहूंगा’

 

इसके अलावा महिला कांग्रेस उपाध्यक्ष ममता वशिष्ठ ने भी ज़िम्मेदारी नहीं मिलने से अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है। ममता वशिष्ठ ने सक्रिय कार्यकर्ताओं की अनदेखी का आरोप लगाते हुए अपने इस्तीफ़े की जानकारी ट्विटर के ज़रिये देते हुए लिखा- ‘राजनीतिक नियुक्तियों में सक्रिय कार्यकर्ताओं को छोड़कर घर बैठे लोगों को संतुष्ठ करने ओर कांग्रेस को राजस्थान में खतम करने के लिए अशोक गहलोत जी का बहुत बहुत आभार’

 

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि राजनीतिक नियुक्तियों में जिस तरह से विधायकों विधायकों के परिजनों और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को एडजस्ट किया गया है उससे कांग्रेस के कई खेमों में नाराज़गी है. पायलट कैंप के नेताओं ने अपनी नाराज़गी का जिस तरह से इज़हार किया है उसे लग रहा है आने वाले समय में विरोध के यह स्वर और तेज़ हो सकते हैं.

 

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