बीकानेर, शिक्षा तथा कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने मंगलवार को नत्थानियों की सराय में कोडमदेसर नाट्य कला संस्थान के कार्यालय का उद्घाटन किया।
इस दौरान डॉ. कल्ला ने कहा कि संगीत, साहित्य और कला विहीन पुरुष, पशुवत होता होता है। उन्होंने कहा बीकानेर कलाधर्मी शहर है। यह कला, संस्कृति और कलाकारों को प्रोत्साहित करता है। डॉ. कल्ला ने कहा कि हमारे गीत, संगीत, तीज, त्योहार, मेले और उत्सव अद्वितीय हैं। हमारे पूर्वजों ने सुबह से लेकर रात, जन्म से लेकर मृत्यु, बारह महीनों और ऋतुओं से जुड़े गीत रचे हैं। आज भी इनका गायन होता है।
कला एवं संस्कृति मंत्री ने कहा कि राजस्थानी भाषा विश्व की सबसे समृद्ध भाषाओं में है। इसमें भरपूर लिखित साहित्य है और पंद्रह लाख से अधिक शब्द इसके शब्दकोष में है। उन्होंने कहा कि राजस्थानी को संविधान की आठवीं अनुसूची में मान्यता मिलने से हिंदी के मान में और अधिक इजाफा होगा।
कला एवं संस्कृति मंत्री ने कहा कि बीकानेर की रम्मतें पूरे देश में विशेष स्थान रखती हैं। कला प्रेमी दूर-दूर से इन्हें देखने आते हैं। इनका संरक्षण हमारा दायित्व है। उन्होंने कहा कि रम्मत खेलने वाली संस्थाएं अपना पंजीकरण करवाएं। कला संस्कृति विभाग की ओर से इन संस्थाओं को आर्थिक सहयोग उपलब्ध करवाया जाएगा। उन्होंने कहा कि राजकीय मोहता मूलचंद स्कूल को अंग्रेजी माध्यम बनाया गया है। सिटी डिस्पेंसरी छह का नया भवन बनवाया का रहा है। इस पर एक करोड़ रुपए व्यय होंगे। उन्होंने मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना की जानकारी दी तथा सभी परिवारों को इसके तहत पंजीकरण करवाने का आह्वान किया।
संस्था अध्यक्ष भंवरलाल जोशी ने संस्था की गतिविधियों के बारे में बताया।
राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के अध्यक्ष शिवराज छंगाणी ने कहा कि अकादमी के माध्यम से राजस्थानी भाषा से जुड़ी विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जाएगी। अकादमी की पत्रिका जागती जोत तो घर घर पहुंचाने के प्रयास होंगे।
*इनका हुआ सम्मान*
इस अवसर पर शिक्षा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला, राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के अध्यक्ष शिवराज छंगाणी, चांद रतन छंगाणी, राजेश चूरा, जुगलकिशोर ओझा पुजारी बाबा, नारायणदास व्यास, भंवरलाल रंगा, रम्मत कलाकार मनोज रंगा, रामकुमार जोशी, लक्ष्मीनारायण जोशी, पार्षद दुर्गादास छंगाणी, वैद्य मदन व्यास का सम्मान किया गया।
संस्था के सचिव लक्ष्मीनारायण जोशी ने संस्था का परिचय दिया। उन्होंने बताया कि संस्था का गठन 2001 में हुआ। इसका उद्देश्य रम्मत सहित स्थानीय लोक कलाओं को प्रोत्साहित करना है।
*इनकी रही उपस्थिति*
इस दौरान महेशकुमार जोशी, शिवप्रसाद जोशी, दयाशंकर रंगा, श्यामलाल जोशी, भंवरलाल ओझा, दिलीप छंगाणी, शिवजी छंगाणी, कृष्णमोहन छंगाणी, फूसाराम माली, सत्यनारायण जोशी, शशि शेखर किराडू, डॉ. गौरी शंकर प्रजापत आदि मौजूद रहे।
संचालन डॉ.पंकज कुमार जोशी
इससे पहले अतिथियों ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। कार्यक्रम का संचालन डॉ. पंकज जोशी ने किया।