नई दिल्ली,सेना ने गुरुवार को कहा कि उसने अपनी नई कांबैट वर्दी के बौद्धिक संपदा अधिकार (आइपीआर) का रजिस्ट्रेशन कराया है। इस वर्दी को परंपरागत लुक से अलग नए तरीके से डिजाइन किया गया है।यह केमोफ्लैग पैटर्न (परिवेश से मेल खाने का ऐसा तरीका कि पहचान में न आए) से लैस है। वर्दी को हल्का, मजबूत और सूखने में आसान बनाया गया है।
नई वर्दी पहले से बेहतर
सेना ने बताया कि नई वर्दी पहले से बेहतर है। इसके कपड़े को रख-रखाव के लिए आसान बनाया गया है। महिलाओं की वर्दी तैयार करते समय विशेष ध्यान रखा गया है। लैंगिक समायोजन करने से नई वर्दी की विशिष्टता स्पष्ट होती है। इसे पहनने से सांस लेने में भी आसानी होती है। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि डिजाइन और केमोफ्लैग पैटर्न का विशेष बौद्धिक संपदा अधिकार अब पूरी तरह से भारतीय सेना के पास है। इसलिए किसी भी अनधिकृत विक्रेता द्वारा वर्दी का निर्माण करना अवैध गतिविधि मानी जाएगी। ऐसे विक्रेताओं को कानूनी कार्रवाई का सामना करना होगा। रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया कोलकाता के पेटेंट
मंत्रालय ने कहा, नए पैटर्न वाली वर्दी के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया कोलकाता के पेटेंट, डिजाइन एवं ट्रेडमार्क महानियंत्रक द्वारा पूरी कर ली गई है। थल सेना के जवानों के लिए नई डिजिटल पैटर्न कांबैट वर्दी का अनावरण 15 जनवरी को सेना दिवस पर किया गया था। मंत्रालय ने कहा, सेना डिजाइन के विशिष्ट अधिकारों को लागू कर सकती है। नियम का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सक्षम अदालत के सामने मुकदमा दायर कर सकती है। उल्लंघन के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई में अंतरिम एवं स्थाई निषेधाज्ञा के साथ-साथ जुर्माना भी शामिल है।