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बीकानेर पूर्व विधानसभा में परकोटे को ही राजनीति का केंद्र, मतदाताओं का प्रभाव और विकास का क्षेत्र माना गया है। उप नगरीय और बाकी विधानसभा क्षेत्र को दोयम दर्जा दिया गया है। बीकानेर नगर निगम के वार्ड पांच के उप चुनाव में भाजपा पार्षद चुनाव जीती है। पहले कांग्रेस की पार्षद थी। यहां विधायक डा. बी.डी. कल्ला राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री है। इस उप चुनाव को अगले विधानसभा चुनाव का रुझान माने तो कांग्रेस हार गई है जन भावना का आकलन उप चुनावो में चाहे लोकसभा के हो या विधानसभा अथवा स्थानीय निकाय के मतलब यही निकाला जाता है कि कांग्रेस और उनके नेता के प्रति रुझान कम हुआ है। इस पार्षद चुनाव में शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष यश पाल गहलोत को सिरे से नकार दिया गया है। इस चुनाव से यह संकेत जाता है कि यश पाल गहलोत बीकानेर में माली समाज का स्वीकार्य नेता नहीं है। आदु राम भाटी के अध्यक्षता में बनी चुनाव संचालन समिति के सभी कांग्रेस पदाधिकारी सदस्यों को मतदाता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस के लिए संदेश यह है कि शहर जिला अध्यक्ष, विधायक यानि केबिनेट मंत्री की हैसियत जनता में पार्षद चुनाव जीताने जितनी भी नहीं रह गई है। मंत्री के प्रतिनिधि त्रिलोकी कल्ला समेत कल्ला समर्थक को जनता मानती नहीं है।
कांग्रेस ने वार्ड पांच के इस उप चुनाव को विधानसभा चुनाव के माफिक लिया है। शहर जिलाध्यक्ष यशपाल गहलोत ने चुनाव अभियान के लिए
वरिष्ठ कांग्रेसी आदूराम भाटी की अध्यक्षता में कमेटी गठित की यह कमेटी नकारा साबित हुई है।

कांग्रेस चुनाव संचालन समिति के अध्यक्ष आदुराम भाटी सदस्य चेतना चौधरी नेता प्रतिपक्ष,हजारी मल देवड़ा जिला उपाध्यक्ष,दिलीप बांठिया जिला उपाध्यक्ष,सुमित कोचर ब्लॉक अध्यक्ष,
मगन पनेचा ब्लॉक अध्यक्ष, सोहन चौधरी वरिष्ठ कांग्रेसी नेता, ललित तेजस्वी जिला महासचिव,
नंदलाल जावा पार्षद महासचिव कांग्रेस, हरिशंकर नायक महासचिव जिला कांग्रेस, राहुल जादुसंगत सचिव जिला कांग्रेस, जयदीप सिंह जावा सचिव जिला कांग्रेस, टिकुराम मेघवंशी सचिव जिला कांग्रेस, चंद्रशेखर चावरिया सचिव जिला कांग्रेस, पाबूराम नायक सचिव जिला कांग्रेस,अभिषेक गहलोत पार्षद, जयकिशन गहलोत ओबीसी पूर्व जिला अध्यक्ष, भीखाराम मेघवाल युथ कांग्रेस, नवरतन डागा वरिष्ठ कांग्रेसी, पूनम नायक वरिष्ठ कांग्रेसी, नितिन वत्सस प्रवक्ता पार्षद पार्टी में अपनी साख और जनता के बीच खोई हुई पैठ को समझ लें। कांग्रेस की ओर से वार्ड में 25 लाख के विकास कार्यों की घोषणा और भाजपा प्रत्याशी के परिवार की महिला को कांग्रेस में शामिल करने के बाद अपनी अर्जित पार्षद सीट गंवाने का कांग्रेसी क्या अर्थ लगाते हैं वे ही जाने, परंतु सीधा सपाट अर्थ यह है कि पार्टी और पार्टी नेताओं से जनता राजी नहीं है। यह उप चुनाव मामूली है, परंतु मायने दूरगामी है। इधर अर्जुन राम मेघवाल ने जनता में अपनी स्वीकार्यता में इजाफा किया है। अर्जुन राम के पुत्र का वार्ड चुनाव हारने के बाद खोई प्रतिष्ठा इस चुनाव में जीत से पुन: पा ली है। यह वार्ड प्रत्याशी केंद्रीय राज्य मंत्री के कर्मचारी की परिजन है और मेघवाल के समर्थन से चुनाव लडा है। यही नहीं मेघवाल के निजी सहायक तेजा राम खुद चुनाव की निगरानी में लगे। मतदान से एक दिन पहले मंत्री भी बीकानेर आए। पार्टी का पूरा केडर, मोहन सुराणा, महावीर रांका, महापौर, शहर अध्यक्ष अखिलेश प्रताप सिंह समेत पूरी टीम जुटी हुई थी। बेशक वार्ड उप चुनाव में अर्जुन राम मेघवाल ही जीते हैं। यह जनता में एक क्विटल चावल की कढाही में से भले ही चावल के एक दाने के समान हो, परंतु अर्जुन राम के राजनीति में स्वीकार्यता बढ़ने का संकेत है।

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