बीकानेर,अगर आप गैर राजनीतिक व्यक्तित्व हो और राजनीति में आ गए हों तो कई दोष आप में स्वतः ही आ जाएंगे । कुछ दोष आपके ईर्दगिर्द के लोग थमा देंगे। आप किसी ओर कीे नजर से देखना शुरू कर देंगे जो आवश्यक रूप से आपको विवादित बना दिया जाएगा। अर्जुन राम मेघवाल जब राजनीति में आए थे तो निर्दोष थे। नीयतन भी किसी के प्रति बुरे नहीं थे। उनको स्वयं अपने राजनीतिक जीवन के प्रति उत्सुकता थी। जनता को भी उनसे उम्मीदे थी। वे सरल व्यवहार से जनता के बीच गए जनता ने सम्मान दिया। परन्तु वे जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। वे खाली मैदान में अकेले खेल रहे हैं। देखने वाली जनता की भीड़ से उनको लगता है वे कुशल खिलाड़ी है। भाजपा सासंद बनने के बाद पार्टी में एकदम से साख बढ़ी तो पार्टी के ही नेता ईर्ष्यावश उनकी कमियां देखने लगे। कुछ राजनीतिक हित टकराने लगे। देखते ही देखते उनके संसदीय क्षेत्र के पार्टीे के कई विधायक और नेता उनके विरोधी हो गए। हद तो तब हो गई जब पिछली बार उनकी टिकट कटाने में पार्टी नेताओं ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। फिर जब टिकट मिल गई तो हराने के सभी प्रयास हुए। मेघवाल कमजोर कांग्रेस प्रत्याशी, मोदी के कवच औऱ संघ के कार्यकर्ताओं के बलबूते पर चुनाव तो जीत गए, परन्तु वे बीकानेर में भाजपा की राजनीति में सर्व स्वीकार्य नहीं हो सके। आज भी उनको बीकानेर में भाजपा के एक गुट से ज्यादा नहीं माना जाता है। बीकानेर भाजपा में ठहराव का दौर हैं। अब भाजपा संगठन में मेघवाल को राष्ट्रीय स्तर पर शामिल करने से उन्हें संगठक की छवि बनानी पड़ेगी। यह सच है मेघवाल राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा में मेहनती, सक्रिय औऱ भले व्यक्ति माने जाते हैं। भले ही वे खुद को कुछ भी समझे परन्तु बीकानेर भाजपा की राजनीति में वे अपना दबदबा नहीं बना पाए हैं। राष्ट्रीय महा सचिव अरुण सिंह के बीकानेर यात्रा के दौरान उनकी यह तस्वीर सामने आई। वैसे कोई नेता निर्विवाद रूप से स्वीकार्य हो ऐसा राजनीति में नहीं हो सकता। मेघवाल भी आखिर समाज और लोकतांत्रिक विसंगतियों से ऊपर कैसे हो सकते हैं। मेघवाल की छवि उनके पार्टी में विरोध के अलावा उनके बेटे के पंचायत चुनाव हारने से औऱ ज्यादा खराब हुई। हालांकि इसका वे स्पष्टीकरण दे चुके हैं। साथ ही इनके इर्दगिर्द की तिकड़ी के चलते खुद इनके पार्टी के नेता मानते हैं कि मेघवाल दूसरे की नजर से ज्यादा खुद की नजर से कम देखते हैं। उनकी मजबूरी है कि वे एक गुट बने हुए हैं। अब भाजपा की राष्ट्रीय कार्य समिति का उनको सदस्य बनाने के बाद उनको अपनी छवि बदलनी पड़ेगी अन्यथा उनकी औऱ ज्यादा आलोचना होगी और कद घट जाएगा । नहीं बदले तो अगले चुनावों में यही होना है।
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