बीकानेर,साथियों आज गिद्धों पर शोध एवं रेस्क्यू करते हुए लगभग 25 साल हो गए हैं, इन 25 सालों में जो मेरा अनुभव है कि देश में गिद्ध संरक्षण के जो वर्तमान कार्यक्रम चल र एक्सहे हैं वे नाकाफी है! मेरी शोध का निष्कर्ष यही निकला कि हम ज्यादा से ज्यादा इन संकटग्रस्त गिद्धों के आवासों और प्रजनन क्षेत्रों का संरक्षण करें, और रेस्क्यू कर पर्यावरण के प्रहरी को पुनर्स्थापित करें।
और पिछले 20 सालों से कई फील्ड वर्कर्स और शोधार्थी देश के विभिन्न भागों में गिद्धों का रेस्क्यू समय-समय पर करते रहते हैं। लेकिन कई जगह पर आज भी रेस्क्यू की जानकारी के अभाव में सही और सुरक्षित रेस्क्यू नहीं हो पाता है। और लगभग 50 प्रतिशत से ज्यादा गिद्धों के बच्चे रेस्क्यू के अभाव में अकाल मौत का शिकार हो जाते हैं।
जैसा कि हम जानते हैं, कि लंबी गर्दन वाले (Long billed vulture) और सफेद पीठ वाले (White backed vulture) संकटग्रस्त प्रजातियां हैं तथा वन्यजीव अधिनियम 1972 के शेड्यूल–I के अंतर्गत आता है! और अभी इनका “ब्रीडिंग सीजन” चल रहा है, अप्रैल-मई के माह में इनके जुवेनाइल बच्चे घोंसलों से उड़ने के दौरान जमीन पर गिर जाते हैं। इस दौरान इनके पेरेंट्स इनकी देख रेख नहीं कर सकते, और रेस्क्यू की आवश्यकता होती है, अन्यथा इनकी मौत निश्चित है!
इस पोस्ट के माध्यम से मैं सभी वन्यजीव प्रेमियों, फील्ड वर्करों, वन्यजीव शोधार्थियों का आव्हान करूंगा कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में कम से कम वल्चर की ब्रीडिंग कॉलोनी के आसपास शाम को एक चक्कर अवश्य लगा ले, और अगर कोई घोंसले से गिरे घायल बच्चे मिले तो निम्नलिखित चरणों में उनका रेस्क्यू कर सकते हैं:
1. जैसे ही आप को कहिए घायल गिद्ध नजर आए सबसे पहले हाथों में ग्लोब्स या कोई मोटा कपड़ा लेकर इसे सुरक्षित और छायादार स्थान पर ले आए, और शुद्ध पीने लायक पानी पिलाएं। अगर किसी बर्तन में डालकर देने पर यह स्वयं पी लेता है, तो अच्छी बात है वरना इसकी चोंच को पकड़कर प्लास्टिक की सीरीज से पिलाने का प्रयास करें।
2. ज्ञातव्य रहे कि यह मांसाहारी है! आपके द्वारा दी गई चपाती, अनाज, सब्जियां यह नहीं खा पाएगा। तत्पश्चात इसको 50 से 100 ग्राम मांस का कीमा (छोटे छोटे चावल के दाने जैसे टुकड़े करके), साफ़ हाथों से खिला दे, या कटोरे में रखें शायद खुद खा लेगा!
3. इसे किसी छायादार स्थान पर बड़ी जाली या पिंजरे में (कुत्ते बिल्लियों से बचाने के लिए) या किसी खुली सुरक्षित जगह रख दिया जाए।
4. यह प्राथमिक उपचार देने के बाद आप आसपास किसी पशु चिकित्सालय, वन विभाग की चौकी, कार्यालय, जू या किसी वन्यजीव रेस्क्यू सेंटर को इसकी जानकारी देदे। और अगर संभव हो तो इस गिद्ध के बच्चे को उन तक पहुंचा दें।
5. अगर ऐसा संभव नहीं होता है, तो इसे वहीं सुरक्षित रखें, 10 से 12 दिन खाना पानी उपलब्ध कराने के बाद आप इन्हें वापस उन्हीं स्थानों पर छोड़ सकते हैं जहां से इन्हें लेकर आए थे। ऐसा करके हम गिद्धों के संरक्षण में में बहुत बड़ा योगदान दे पाएंगे।
प्रो.अनिल कुमार छंगाणी,
विभागाध्यक्ष,
पर्यावरण विज्ञान विभाग,
महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय
बीकानेर