जयपुर। बुधवार को संयुक्त अभिभावक संघ ने कांग्रेस और भाजपा पर एक बार फिर सवाल खड़े किए, संघ ने कहा कि ” राज्य सरकार हो या प्रमुख विपक्षी दल दोनों को ना अभिभावकों की चिंता है ना अभ्यार्थीयों की चिंता और ना ही बेरोजगारों की चिंता है दोनों ही दल केवल खुद राजनीतिक स्वार्थ के हितों को साधने की चिंता में इतने व्यस्त है कि इनको प्रदेश की बिल्कुल भी चिंता नही है। ”
प्रदेश उपाध्यक्ष मनोज शर्मा ने बताया कि आज प्रदेश के अभिभावक कोरोना काल से पीड़ित है उनके बच्चों की पढ़ाई रुक गई है किंतु ना राज्य सरकार अभिभावकों पर ध्यान दे रही है और ना प्रमुख विपक्षी दल अभिभावकों की आवाज उठा रहा है। एक साल से अधिक का समय हो गया है किंतु आज तक निजी स्कूलों में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना नही हुई है जिस पर कांग्रेस और भाजपा दोनों कान में रुई ठुसे बैठे है।
प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य चंद्र मोहन गुप्ता ने बताया कि प्रदेश में अभ्यर्थी सालों साल मेहनत कर परीक्षा देने की तैयारी करते है उनके अभिभावक अनेकों पीड़ाओं को झेलकर उन्हें पढ़ाई करवाते है और परीक्षा देने के लिए तैयार करते है किंतु जब परीक्षा आती है तो योजनाबद्ध तरीके से पेपर लीक कर पेपर रद्द करने का षड्यंत्र रच दिया जाता है और अभिभावकों व अभ्यर्थियों की उम्मीदों और आशाओं पर पानी फेर दिया जाता है। जिस भाजपा कांग्रेस का आरोप लगाती है और काँग्रेस भाजपा पर आरोप लगा मामले और मुद्दे को ठंडे बस्ते में डाल देते है ऐसा करने से भाजपा और कांग्रेस की राजनीतिक रोटियां तो सीक जाती है किंतु उन अभिभावकों और अभ्यर्थियों का क्या जो इन परीक्षाओं के माध्यम से अपने अंधेरे घरों में दीपक जलाने की रोशनी को ढूंढ रहे थे।
प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि पेपर लीक का षड्यंत्र एक सोची समझी साजिश है किन पक्ष और विपक्ष के यह सम्भव नही है, क्योकि दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों को अभिभावकों, अभ्यर्थियों और बेरोजगारों सहित आमजन से कोई सरोकार नही है। अगर सरोकार होता तो अब तक पेपर लीक मामले पर ठोस कानून बन जाता किन्तु दोनों ही दल इस विषय पर कार्य करना ही नही चाहते। दोनों दल प्रलोभन देकर वोट बैंक की राजनीति को अंजाम देते है जिसे सिर्फ आमजन को भोगना पड़ता है। पहले पूरा तंत्र काँग्रेस के चिंतन शिविर में व्यस्त था और अब भाजपा के चिंतन शिविर में व्यस्त हो जाएगा। किसी को प्रदेश के आमजन में फैली चिंता से कोई मतलब नही है।