जयपुर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने एक करोड़ रुपए की डमी करेंसी खरीदी है। ट्रैप कार्रवाई में दी जाने वाली रिश्वत के लिए डमी करेंसी (मनोरंजन बैंक के नोट) की व्यवस्था की गई है।
भ्रष्टों को रंगे हाथ पकड़ाने वालों के सामने परेशानी यह है कि जितनी रिश्वत मांगी जा रही है, वह देना उनकी सामर्थ्य में नहीं है। एसीबी ने नकली नोटों का सहारा लेना शुरू किया है। डमी करेंसी के फेर में तीन बड़े मामले पकड़े जा चुके हैं। शिकायतों की झड़ी एसीबी ने जब से हेल्पलाइन शुरू की है, तभी से भ्रष्टाचार की शिकायतों की झड़ी लगी हुई है। हालांकि सभी शिकायतें कार्रवाई तक नहीं पहुंची पाती। इसमें सबसे अहम रुकावट सामने आ रही है अधिकारियों की ओर से मांगी जा रही रिश्वत की रकम। शिकायतकर्ता रकम की व्यवस्था करने में असमर्थ रहता है। ऐसा ही पहला मामला जुलाई 2021 में सामने आया।
आरएएस साक्षात्कार में पास कराने के नाम पर एक परिवादी से 23 लाख रुपए की घूस मांगी गई। ‘परिवादी कार्रवाई के लिए तैयार था, लेकिन उसके पास इतने रुपए नहीं थे। कानूनन एसीबी भी रुपए नहीं दे सकती। ऐसे में एसीबी ने डमी करेंसी का रास्ता खोजा। 23 लाख रुपए में से 22 लाख रुपए डमी करेंसी रखी गई। इस मामले में आरपीएससी का कनिष्ठ लेखाकार रंगे हाथ पकड़ा गया।
एक करोड़ के डमी नोट मंगवाए हैं।
असली नोटों के समान ही एक करोड़ के डमी नोट (मनोरंजन बँक) मंगाए हैं। बड़े मामलों में परिवादी के पास रिश्वत की राशि देने के लिए नहीं होती। ऐसे में कानूनी रूप से कागज तैयार कर इन नोटों की मदद से कार्रवाई कर रहे हैं। अभी तक तीन कार्रवाई की गई है। बी.एल. सोनी, डीजी एसीबी
साक्ष्य पर प्रभाव नहीं
एसीबी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत रिश्वत लेने वाले अधिकारियों को गिरफ्तार करती है। इसमें महत्वपूर्ण तथ्य संबंधित अधिकारी की ओर से रिश्वत की डिमांड करना है। ट्रैप की कार्रवाई में दूसरा तथ्य रिश्वत की राशि स्वीकारना है। दोनों साक्ष्य होने की स्थिति में रकम कम हो या ज्यादा खास महत्व नहीं रखता। डमी करेंसी को भी असली नोटों की तरह फर्द पर अंकित किया जाता है। इसके साथ ही रसायन भी लगाया जाता है। • अदालत में साक्ष्यों के आधार पर ये उतने ही महत्वपूर्ण होते हैं।
काम न आया रिवॉल्विंग फंड
ट्रैप कार्रवाई में अधिकारी की दी गई राशि एसीबी जब्त कर लेती है। यह राशि अदालत में पेश की जाती है। जब तक केस का अन्तिम निर्णय नहीं हो जाता राशि जब्त रहती है। यही कारण है कि मोटी रिश्वत के मामले में परिवादी एसीबी में जाने से कतराते हैं। इसका समाधान करने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट 2021-22 में रिवॉल्विंग फंड बनाने की घोषणा की थी। 21 अक्टूबर, 2021 को यह फंड बनाया गया, जिसमें तय हुआ कि रिश्वत की राशि तय प्रक्रिया के बाद परिवादी को लौटा दी जाएगी। हालांकि अगले ही दिन इसमें संशोधन कर दिया गया। अब तय किया कि इसका फायदा केवल बीपीएल और एनएफएसएल स्कीम के लाभार्थियों को ही मिलेगा। यही कारण है कि फंड बनने के बाद कोई परिवादी इस दायरे में नहीं आया जिसे रकम वापस मिले।
एक साथ खरीदी डमी करेंसी
आरपीएससी मामले में एसीबी को 22 लाख रुपए की आवश्यकता थी। एसीबी ने एक साथ 1 करोड़ की डमी करेंसी खरीदी थी। ताजा मामला 14 दिसम्बर को पकड़ा। केन्द्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो के निरीक्षक अमन फोगाट को 2 लाख रुपए की रिश्वत लेते पकड़ा। इसमें से 1 लाख 70 हजार रुपए डमी करेंसी थी।