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बीकानेर,शहर में रानी बाजार अंडरब्रिज से लेकर अंबेडकर सर्किल रोड़ पर सुबह से लेकर देर रात तक ट्रेफिक जाम के हालात रहते है। वजह, इस रोड़ पर प्राइवेट ट्रेवल्स ऐजेंसी संचालकों ने अपना दबदबा कायम कर लिया है। जिन्होने ना सिर्फ रोड़ पर अतिक्रमण कर रखें है बल्कि अपनी बसों को बीच सड? पर खड़ी कर सवारियों को चढ़ाने उतारने और अवैध रूप से लगेज की लोडिंग अनलोडिंग करते है। इससे न केवल दिनभर भारी ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी रहती है, रोड़ पर ट्रेफिक के जाम के कारण कई बार एंबूलेंस और स्कूली वाहन भी भीड़ में फंसी रहती है। ट्रेफिक जाम में फंसे वाहनों चालकों में झगड़ेबाजी की घटनाएं भी आये दिन होती है। व्यस्ततम रोड़ पर पनपे इस अवैध बस स्टेण्ड को लेकर स्थानीय लोगो का आरोप है कि ये बसें न सिर्फ यात्री ढो रही हैं, बल्कि इनके जरिये बिना जीएसटी बिल के भारी मात्रा में माल भी ढोया जा रहा है, जो कि पूरी तरह गैरकानूनी और कर चोरी की श्रेणी में आता है। सबसे गंभीर बात यह है कि इस अवैध बस स्टैंड के संचालन के पीछे क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) और ट्रेफिक पुलिस की मिलीभगत और ‘मेहरबानी’ बताई जा रही है। सूत्रों के अनुसार, आरटीओ और ट्रेफिक पुलिस की शह पर प्राइवेट ट्रेवलस ऐजेंसियों के संचालक सिस्टम की धज्जियां उड़ाते हुए रोड़ पर अपनी मनमानी चला रहे है। इन बस संचालकों को न तो पुलिस का भय है, न ही किसी विभागीय कार्रवाई की चिंता। स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार आरटीओं और ट्रेफिक पुलिस से शिकायत कर चुके है लेकिन कार्यवाही नहीं होती । इससे ट्रेवल्स ऐजेंसी संचालकों के हौंसलें बुलंद होते जा रहे है।
*सिस्टम पर उठ रहे सवाल*
इस मामले को लेकर सिस्टम पर भी सवाल उठ रहे है। सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि जब यह शहर की सबसे व्ययस्ततम रोड़ पर इस तरह अवैध संचालन खुलेआम हो रहा है, तो जिम्मेदार विभाग आँख मूंदकर क्यों बैठा है? प्रशासन की यह चुप्पी और निष्क्रियता संदेह को और भी गहरा करती है। आए दिन लगने वाले ट्रैफिक जाम के चलते न सिर्फ आम आदमी को परेशानी होती है, इस रोड़ पर कभी-कभी तो ट्रैफिक इतना लंबा हो जाता है कि एम्बुलेंस और फायर ब्रिगेड जैसे वाहन भी समय पर अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच पाते। वहीं दूसरी ओर, इन बसों से हो रही अवैध माल ढुलाई से न सिर्फ सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है। रानी बाजार अंडरब्रिज से लेकर अंबेडर सर्किल तक पनपे अवैध प्राइवेट बस स्टेण्ड के कारण उपजी इस समस्या को लेकर सामाजिक कार्यकता कई बार प्रशासन को अवगत करवा चुके है। लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि इस मामले में आरटीओं और ट्रेफिक पुलिस की भूमिका की निष्पक्ष जांच हो, दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए और रोड़ को अवैध बस स्टेण्ड से मुक्त किया जाए। साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में इस तरह की गतिविधियों की पुनरावृत्ति न हो, ताकि आम जनता को राहत मिल सके और प्रशासन की साख बरकरार रह सके।

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