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बीकानेर,पहले तो कुलपति ने कुलसचिव के द्वारा नियम विरुद्ध कार्य करने से मना करने पर उन्हें कार्यविरत करके अपने गैर कानूनी कार्य परीक्षा नियंत्रक मुकेश जोशी को कुलसचिव बनाने का प्रयास करके करवाने का रास्ता ढूंढा। लेकिन तकनीकि शिक्षा के द्वारा यह स्पष्ट करने पर की कुलसचिव अशोक सांगवा ही रहेंगे एवं मुकेश जोशी द्वारा किये गए कार्य प्रभाव शून्य हैं, कुलपति तिलमिला गए और कुछ और ना सूझने पर कुलपति द्वारा राजभवन के पाले में मार्गदर्शन हेतु गेंद डाल दी। कुलपति परीक्षा नियंत्रक से वित्त अधिकारी का काम करवाकर एक ओर तो राजभवन के आदेशों की खुली अवहेलना कर रहे हैं दूसरी और अपने गैर कानूनी काम मुकेश जोशी के माध्यम से करवाने के इरादे से राजभवन से पत्राचार करके विश्वविद्यालय में असमंजस की स्थिति पैदा करके विश्वविद्यालय के सब कामों को ठप्प कर रहे हैँ।
परीक्षा नियंत्रक से परीक्षा आयोजन और परिणाम घोषित करने के काम तो सही से संपादित नही हो रहे हैं, जिससे विश्वविद्यालय में अध्ययनरत हजारों छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो गया है ऊपर से कुलपति द्वारा परीक्षा नियंत्रक को पहले तो वित्त नियंत्रक फिर कुलसचिव का काम दे दिया है। पहले तो कुलपति द्वारा कुलपति पद सम्भालते ही तानाशाही करते हुए सीईटी के शैक्षणिक एवं अशैक्षणिक कार्मिकों को तनख्वाह न देकर, उन्हें डरा धमका कर परेशान किया गया उनकी तनख्वाह, डीए, वार्षिक वेतनवृद्धि रोक कर परेशान किया गया, सीईटी कार्मिकों को अन्य परिलाभ जैसे मेडिकल छुट्टी, उपार्जित अवकाश, महिला शिक्षकों को प्रसूति अवकाश तक देने से मना करा गया पर अब कुलपति द्वारा विश्वविद्यालय में राज्य सरकार द्वारा पदस्थापित पूर्णतः राजकीय कार्मिकों को भी कुलपति द्वारा असमंजस की स्थिति पैदा करके मानसिक प्रताड़ना और तनाव दे रखा है। बेचारे सरकारी कार्मिक इतने विवश मजबूर और लाचार हो गए हैं कि उन्हें जिस राज्य सरकार ने विश्वविद्यालय में पदस्थापित किया हैं उसी राज्य सरकार के आदेशों को मानने से मना किया जा रहा है। कुलपति का रवैय्या हिटलर सरीखी तानाशाही सा हो गया है। बेचारे सहायक लेखाधिकारी की माह जुलाई में सेवानिवृति है। यदि वह सरकार का आदेश मान कर अशोक सांगवा को कुलसचिव और राजभवन का आदेश मान कर अशोक सांगवा से वित्त नियंत्रक का काम करवाता है तो कुलपति का डर और यदि कुलपति के अनुसार मुकेश जोशी से वित्त नियंत्रक और कुलसचिव का काम करवाता है तो सरकार के और राजभवन के आदेशों की अवहेलना।
और यही स्थिति कुलपति द्वारा कमोबेश सभी सरकारी कार्मिकों के सामने उत्पन्न कर दी गयी है। कुलपति बीटीयू ने फिर से एक नया आदेश निकाल कर सरकारी कर्मचारियों के माह जून 2023 की तनख्वाह पर भी तलवार लटका दी है। ऐसा लगता है जैसे कुलपति को कार्मिकों की तनख्वाह रोकने में ज्यादा खुशी मिलती है। पहले तो कुलपति द्वारा सीईटी के शिक्षकों की तनख्वाह रोकी जा रही थी और अब बेचारे सरकारी कार्मिकों द्वारा राज्य सरकार के निर्देशों के अनुसार अशोक सांगवा को कुलसचिव और राजभवन के अनुसार वित्त अधिकारी के रूप में फाइलें भेजने पर उनकी तनख्वाह पर भी तलवार लटका दी है। बीटीयू अपने आप मे एकमात्र ऐसा सरकारी सिस्टम है जहां राज्य सरकार का आदेश मानने पर राजकीय कार्मिकों की तनख्वाह रोकने जैसा कृत्य किया जाता है। राज्य सरकार अगर अब भी संज्ञान ले कर आवश्यक कार्यवाही नही करती है तो निश्चित रूप से हालात इससे भी बुरे होने की पुरी पुरी सम्भावना है। आखिर राज्य सरकार की ऐसी क्या मजबूरी है कि वो सिस्टम के अधीन संचालित विश्वविद्यालय के कुलपति पे अंकुश लगाने का नाम ही नहीं ले रही है। यदि राज्य सरकार इसपे संज्ञान नहीं लेती है तो मैं सुरेंद्र जाखड़ विश्वविद्यालय के छात्रों के हितों में मैं अतिशीघ्र प्रेस वार्ता करके राजस्थान के समस्त नागरिकों को भ्रस्टाचारी कुलपति के कृत्यों से अवगत करवाने के अलावा कोई चारा नहीं है।

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