
बीकानेर/मुक्ति संस्था के तत्वावधान में चौथे पोकरमल राजरानी गोयल स्मृति राजस्थानी कथा साहित्य पुरस्कारों की घोषणा कर दी गयी है । मुक्ति संस्था के सचिव कवि- कथाकार राजेन्द्र जोशी ने बताया कि इन पुरस्कारों के लिए देश भर के राजस्थानी साहित्यकारों से पुस्तकें आमंत्रित की गई थी । जोशी ने बताया कि राजस्थानी कथा साहित्य की सोलह पुस्तकें प्राप्त हुई थी । निर्णायक मंडल द्वारा गहन अध्ययन के उपरांत राजस्थानी महिला लेखन के लिए बीकानेर की कथाकार डाॅ.कृष्णा आचार्य की राजस्थानी कहानी संग्रह ” तिणकां री भींत” पर ग्यारह हजार रुपये का राजस्थानी महिला लेखन का पोकरमल राजरानी गोयल स्मृति राजस्थानी कथा साहित्य पुरस्कार देने की घोषणा की गई है । जोशी ने बताया कि ग्यारह हजार रुपये का दूसरा राजस्थानी कथा पुरस्कार जोधपुर के युवा राजस्थानी साहित्यकार डाॅ. कप्तान बोरावड़ को उनके कहानी संग्रह “आंगणै री आस” के लिए दिया जाएगा। चौथे पोकरमल राजरानी गोयल स्मृति राजस्थानी पुरस्कार के लिए प्राप्त पुस्तकों में कहानी, उपन्यास एवं लघुकथाओं की बेहतरीन पुस्तकें मिली थीं, जो राजस्थानी साहित्य को अन्य भारतीय भाषाओं के साथ खड़ा करती दिखाई देती हैं ।
पोकरमल राजरानी गोयल ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. नरेश गोयल ने उन लेखकों के प्रति आभार व्यक्त किया है जिन्होंने संस्था के आग्रह पर पुस्तकें भेजी थीं। डॉ.गोयल ने बताया कि 5 दिसम्बर 1987 को जन्मे डाॅ.कप्तान बोरावड़ युवा अधिवक्ता और शोधार्थी है । राजस्थानी साहित्य में पोस्ट ग्रेजुएट डाॅ.कप्तान पिछले पन्द्रह बरसो से राजस्थानी मान्यता आंदोलन से जुड़े है , इनकी पुस्तक अकादमी के आंशिक आर्थिक सहयोग से “आंगणै री आस” 2023 में राजस्थानी कहानी संग्रह प्रकाशित हुई है।
डाॅ. गोयल ने बताया कि 13 नवम्बर 1967 को बीकानेर में जन्मी डाॅ. कृष्णा आचार्य की तीस से अधिक हिन्दी एवं राजस्थानी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं , गोयल ने बताया कि डाॅ.आचार्य एक अनुवादक एवं शोधार्थी है।
निर्णायक मंडल में वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ.मदन सैनी,
साहित्यकार- जनसंपर्क विभाग में उप निदेशक हरिशंकर आचार्य,एवं सम्पादक-व्यंगकार डाॅ.अजय जोशी शामिल थे। डाॅ.गोयल ने बताया कि अप्रैल माह के दूसरे सप्ताह में बीकानेर में आयोजित समारोह में डाॅ. कप्तान बोरावड एवं डाॅ.कृष्णा आचार्य को पोकरमल राजरानी गोयल स्मृति राजस्थानी कथा साहित्य पुरस्कार अर्पित किये जाएंगे ।