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बीकानेर,पीबीएम होस्पीटल में मरीजो का लाने जाने में लगी दर्जनों एबंूलेंसे घरेलू गैस से चल रह है। जो कभी भी आग का गोला बनकर दुखदायी हादसे को अंजाम दे सकती है। इसके बावजूद परिवहन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे है। इस मामले की पड़ताल करने पर सामने आया कि पीबीएम होस्पीटल परिसर में करीब तीन दर्जन ऐसी एबंूलेंस वैन है जो रसोई गैस से चल रही है। पीबीएम होस्पीटल की जनाना विंग के बाहर तो इन एंबूलेसों का जमावड़ा सा लगा रहता है। हैरानी की बात तो यह है कि जिला परिवहन अधिकारी को भी पुख्ता तौर पर पता नहीं है कि जिले में कितनी एंबूलेंसे एलपीजी पास है। ऐसे में एंबूलेंस माफिया यहां पीबीएम होस्पीटल में रोगियों की जान से खुलेआम खिलवाड़ कर रहे है। पता चला है कि इन एंबूलेंस में गैस रिफिल के ठिकाने भी होस्पीटल के आस पास ही बने हुए है। जानकारी में रहे कि बीते दिनों श्रीडूंगरगढ़ से आ रही एक एंबूलेंस में अचानक आग भभक गई थी। यह तो गनीमत रही कि आगजनी के वक्त एंबूलेंस में कोई रोगी नहीं था और चालक ने कूदकर अपनी जान बचाई।

60-70 हजार रुपए में एंबुलेंस तैयार
जानकारी के अनुसार अस्पतालों में मरीजों को लाने व ले जाने में लगी एलपीजी से चलने वाली वैन एंबुलेंस में सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है। एक एंबुलेंस कर्मी ने बताया कि पुरानी वैन 60 से 70 हजार रुपए में आसानी से मिल जाती हैं। जिन्हें एंबुलेंस बनाकर चलाया जा रहा है। वहीं अधिकांश एंबुलेंस बाहर से दिखने में भले ही अच्छी हों, लेकिन उनकी अंदर से स्थिति कबाड़ जैसी बनी हुई हैं। ऐसे में मरीजों को एंबुलेंस सेवा राम भरोसे ही मिल रही है।

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