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बीकानेर,पर्यटन लेखक संघ-महफिले अदब के तत्वावधान में रविवार को होटल मरुधर हेरिटेज में सुप्रसिद्ध शायर अब्दुल रहमान अमर जुनूनी के गजल संग्रह मुहब्बत है जवां अब तक का विमोचन किया गया।इस अवसर पर बीकानेर के साहित्यिक समाज की तरफ से उनका सम्मान भी किया गया।सम्मान स्वरूप उन्हें शाल,श्रीफल और फूलों का हार भेंट किया गया।
राजस्थान साहित्य अकादमी,उदयपुर के आंशिक सहयोग से प्रकाशित इस कृति के विमोचन समारोह की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ शायर जाकिर अदीब ने कहा कि अमर जुनूनी मानवीय मूल्यों के शायर हैं।उनके यहां मानवीय संवेदनाएं और इंसानियत की भावना चरम पर है।वह गरीब और मजलूम की बात करते हैं।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए कवि कथाकार राजेंद्र जोशी ने कहा कि अमर जुनूनी की ग़ज़लें दुष्यन्त शैली की हैं।वे जमीन से जुड़े हुए व्यक्तित्व हैं और जमीन से जुड़ी हुई शायरी करते हैं।उनकी गजलों में बनावट या मिलावट नहीं है।जो सत्य है वहीं उनकी शायरी में है।
कार्यक्रम संयोजक डॉ ज़िया उल हसन कादरी ने शायर का परिचय प्रस्तुत करते हुए कहा कि अमर जुनूनी आम आदमी है।वह आम आदमी की पीड़ा बयान करते हैं।उनकी शायरी उनके संघर्षमय का दर्पण है।वह जीवन को करीब से देखते हैं और उसका सजीव चित्रण अपनी शायरी में करते हैं।
शायर कासिम बीकानेरी ने विमोचित कृति पर पत्रवाचन करते हुए कहा कि अमर जुनूनी की शायरी में जीवन के विभिन्न रंग देखे जा सकते हैं।उनकी शायरी में गम है तो खुशी के रंग भी हैं।
इस अवसर पर अमर जुनूनी ने अपनी कृति में से चुनिंदा रचनाएं सुना कर दाद हासिल की-
सूंघी नहीं है गुल की महक इस गरीब ने
देखी नहीं खुशी की झलक इस गरीब ने
रातों को जागता है ये रोजी की फिक्र में
झपकाई न कभी भी पलक इस गरीब ने
प्रारम्भ में प्रो नृसिंह बिनानी ने आगंतुकों का स्वागत किया तथा जुगल किशोर पुरोहित ने “अपनी बात” का वाचन किया।
इस अवसर पर रवि शुक्ल,डा जगदीश दान बारहठ,अब्दुल जब्बार जज़्बी, मुहम्मद फरहान कादरी,अलीमुद्दीन जामी,मुहम्मद इसहाक गौरी शफक,इमदाद उल्लाह बासित,शिव शंकर मारू,शमीम अहमद,अब्दुल सत्तार,धर्मेंद्र राठौड़,धनंजय, जहीर चंदवानी,टीपू सद्दाम आदि ने अमर जुनूनी की शायरी की सराहना की।
अंत में असद अली असद ने धन्यवाद ज्ञापित किया।संचालन डा ज़िया उल हसन कादरी ने किया।

 

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