बीकानेर,ओबीसी आरक्षण के मसले पर हरीश चौधरी के तेवर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ तेज हो गए हैं। उन्होंने कहा कि वे कांग्रेस के साथ है। किसी व्यक्ति के साथ नहीं है।उन्हें किसी व्यक्ति के साथ रहने की कीमत चुकानी पड़ रही है। कैबिनेट मीटिंग से पहले सीएम अशोक गहलोत पर आंख बंद कर विश्वास करता था। लेकिन, यह धोखा मेरे साथ नहीं है। यह राजस्थान की आधी से ज्यादा आबादी ओबीसी वर्ग के साथ धोखा है।
उन्होंने कहा कि आपको जीवन में कोई एक लोटा पानी भी पिलाए तो उसे नहीं भूलना चाहिए। हमने तो सरकार बचाई थी। मैं किसी व्यक्ति के पीछे नहीं, पार्टी की विचारधारा के साथ हूं। सीएम अशोक गहलोत के करीबी मंत्री जो कि चुनकर तो नहीं आए हैं, लेकिन सीएम के नाक का बाल है। मुझे फोन कर धमकी दी या सलाह दी, यह तो आने वाला समय ही बताएगा। उन्होंने कहा कि क्यों ओबीसी आरक्षण विसंगतियों को लेकर मुद्दा बना रहे हो? मैं सरकार पर आरोप नहीं लगा रहा हूं। मेरा सवाल सीएम अशोक गहलोत से है। ओबीसी विसंगतियों के मामले को डेफर करने के पीछे क्या वजह रही है। यह मुझे समझ में नहीं आया है। मैंने पूरी रात गुजरने दी। मैं लगातार यह सोचता गया कि क्या वजह रही है। सीएम अशोक गहलोत ने मीटिंग से पहले दस बार बातचीत की। कैबिनेट बुलाने को लेकर बात की। मीटिंग से एक दिन पहले रात को भी मुझे ऐसा महसूस नहीं करवाया कि डेफर करेंगे।
चौधरी ने कहा कि डेफर करने से कांग्रेस को फायदा नहीं होने वाला है। राजस्थान को फायदा नहीं होने वाला है। किसी प्रकार से इस आंदोलन की खिलाफत नहीं की है। मांग का किसी ने विरोध नहीं किया। बहुत ही शांतिपूर्ण तरीके से बाड़मेर से जयपुर तक प्रदर्शन हुआ। डेफर कर विवाद खड़ा करवा दिया है। इसके पीछे क्या मंशा है। यह आज तक समझ में नहीं आया है। यह लागू करते तो राजस्थान की आधी से ज्यादा आबादी को फायदा होता। रोककर किसका फायदा करवाना चाहते है। इसको रोक कांग्रेस व राजस्थान को फायदा नहीं है। यह मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं।
पूर्व मंत्री एवं बायतु विधायक हरीश चौधरी ने कहा- मुझे किसी व्यक्ति का फोन आता है। वह व्यक्ति मुझे समझाइश, सलाह और धमकी के तौर पर कहते हैं कि मारवाड़ में जहां से आप आते हैं, वहां सबसे बड़ा हादसा हुआ है। मेहरानगढ़ दुखान्तिका हुई थी। धीमे-धीमे यह मुद्दे शांत हो जाते हैं। वो इतना बड़ा मुद्दा था। वो भी शांत हो गया था। आप क्यूं व्यक्तिगत तौर पर किसी की नाराजगी लेते हो। मैंने कहा कि यह व्यक्तिगत तौर पर नाराजगी लेने का समय नहीं है। मैं किसी और मुद्दे की तह तक नहीं जाऊंगा। मेरा इकलौता मुद्दा ओबीसी की विसंगतियों को बहाल करने का है। मुझे न तो मेहरानगढ़ दुखान्तिका की ओर जाना है और न ही किसी और मुद्दे पर जाना है। मैं किसी की तरफ नहीं जाना चाहता हूं।चौधरी ने कहा कि जो मैंने सवाल उठाए हैं। जो संघर्ष है। वो हमारे कांग्रेस का पुराना संघर्ष है। इसमें सीमाएं नहीं होती हैं। हक और अधिकार के लिए लड़ने की कोई सीमा नहीं होती है। मुझे आशा है कि सीमाएं पार नहीं करनी पड़ेंगी। अगर सीमा पार करनी पड़ेगी तो वो सभी सीमा पार करूंगा। बायतु विधायक एवं पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश चौधरी बीते चार-पांच माह भूतपूर्व सैनिकों को ओबीसी समेत सभी आरक्षण श्रेणियों से रिजर्वेशन देने की बजाय अलग से कोटा निर्धारित करने की पैरवी कर रहे है। इसको लेकर हरीश चौधरी बाड़मेर से लेकर जयपुर तक आंदोलन व प्रदर्शन युवाओं के साथ कर चुके है।