
बीकानेर,अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (ABRSM) का मानना है कि शिक्षा को राजनीति से ऊपर रखना चाहिए, क्योंकि यह देश के विकास में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 एक बड़ा ऐतिहासिक सुधार है, जिसका उद्देश्य भारतीय शिक्षा प्रणाली को वैश्विक मानकों के अनुसार बेहतर बनाना है, वहीं हमारी भाषाओं और सांस्कृतिक विविधता को भी बनाए रखना है।
शैक्षिक महासंघ त्रि-भाषा सूत्र और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के पूरे देश में लागू होने का पुरजोर समर्थन करता है। हमारे राष्ट्र का सांस्कृतिक लोकाचार भाषाई विविधता और राष्ट्रीय एकता को एक दूसरे का पूरक मानता है। एनईपी 2020 में त्रि-भाषा सूत्र के तहत किन्हीं भी दो भारतीय भाषाओं को पढ़ाया जा सकता है, जबकि तीसरी भाषा भारतीय या विदेशी हो सकती है। यह नीति बहुभाषावाद को बढ़ावा देती है, लचीलापन प्रदान करती है, और प्राथमिक शिक्षा को मातृभाषा या स्थानीय भाषा में देने का समर्थन करती है।
एबीआरएसएम के अध्यक्ष प्रो. नारायण लाल गुप्ता ने इस बात पर जोर दिया कि भाषाई विविधता भारत के जीवंत और विविधतापूर्ण सामाजिक ताने-बाने की ताकत है, जिसे एनईपी 2020 उपयुक्त रूप से बढ़ावा देती है। उन्होंने दोहराया कि एनईपी 2020 किसी भी भाषा को थोपती नहीं है, बल्कि क्षेत्रीय और राष्ट्रीय भाषाओं को अपनाने को प्रोत्साहित करती है, जिससे समावेशिता और शैक्षिक उन्नति सुनिश्चित होती है।
एबीआरएसएम की महामंत्री प्रो. गीता भट्ट ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ राज्य सरकारें संकीर्ण राजनीतिक हितों के कारण एनईपी 2020 का विरोध कर रहे हैं, जिससे छात्र, शिक्षक और शैक्षणिक संस्थान इसके व्यापक अवसरों से वंचित हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि कई गैर-भाजपा शासित राज्यों ने इसके लाभों को पहचानते हुए एनईपी के तत्वों को अपनाया है। इसलिए, इस परिवर्तनकारी नीति का राजनीतिकरण करना और केन्द्र सरकार द्वारा समर्थित सहकारी संघवाद की भावना की अवहेलना करना अनुचित है।
अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ प्रधानमंत्री की भाषाओं और सांस्कृतिक धरोहर को लेकर प्रतिबद्धता का स्वागत करता है, जो काशी तमिल संगमम् और सौराष्ट्र तमिल संगमम् जैसे आयोजनों के जरिए दिखाई दे रही है। ये पहल तमिलनाडु और देश के अन्य हिस्सों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करती हैं। इसके साथ ही अनुवादिनी और भाषिणी जैसे एआई आधारित टूल्स सरकार की भाषाई समावेशिता को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
शैक्षिक महासंघ सभी हितधारकों से राष्ट्र के शैक्षिक परिदृश्य की बेहतरी के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का समर्थन करने का आग्रह करता है। शिक्षा को राजनीति से ऊपर रखा जाना चाहिए, बल्कि इसे सशक्तिकरण, ज्ञान और राष्ट्रीय प्रगति का साधन बना रहना चाहिए।