बीकानर,7 साल पहले जन्म, दिव्यांगता देख माता-पिता ने मोटिवेशनल वीडियो देख परवरिश ऐसी की कि आज अहमद रजा डांसर बनने की राह पर
पिछले दिनों अखिल भारतीय स्तर पर हुए डांस प्रतियोगिता में अपने पार्टनर डांस गुरु के साथ अहमद को मिला दूसरा स्थान
यह कहानी है नागौर जिले के मकराना के 7 साल के अहमद रजा की जिसे कुदरत ने बचपन से ही दोनों हाथ नहीं दिए,पैरों में भी विकृति है, लेकिन अहमद रजा अपने आप को दिव्यांग नहीं कहलाना चाहता ,वह एक कामयाब डांसर के रूप में अपना करियर बनाना चाहता है इस कहानी के किरदार अहमद रजा के पिता फरहान भी है जो अहमद रजा को कामयाब बनाने के लिए रोज अपने शहर से 27 किलोमीटर दूर कुचामन सिटी में डांसिंग क्लास के लिए लाते हैं। अहमद रजा के शरीर और इस कहानी में जान डालने वाले डांस गुरु आशीष भी इस कहानी के मुख्य किरदार है उनका सपना है कि अहमद रजा को आने वाले वक्त में8 लोग दिव्यांग के रूप में नहीं बल्कि एक कामयाब शख्सियत के रूप में जाने
अगर हौसला हो तो बड़ी से बड़ी परेशानी भी हल हो जाती है कुछ ऐसा ही हौसला दिखाया है नागौर जिले के मकराना के निवासी फरहान ने जिन्हें 7 साल पहले कुदरत ने ऐसा पुत्र दिया जिसके जन्म से ही दोनों हाथ नहीं थे। पैरों में भी विकृति थी । बच्चे अहमद रजा के जन्म के बाद माता-पिता पूरी तरह से निराश हो गए थे ।रिश्तेदारों ने पिता फरहान अहमद गैसावत को नसीहत दी कि बच्चे को अनाथालय छोड़ आए। फरहान अहमद गैसावत ने किसी की नही सुनी और हौसला दिखाते हुए फैसला किया कि वह अपने बच्चे को ऐसा बनाएंगे कि लोग उसकी कमजोरी को नहीं बल्कि खूबी को पहचाने । मार्बल के क्षेत्र में मजदूरी करने वाले गरीब पिता ने अपने कलेजे के टुकड़े को दिव्यांगता से परे हीरा बनाने की ठानी और अब नतीजा यह है कि वह दोनों हाथ नहीं होने के बावजूद 7 साल का अहमद रजा अव्वल डांसर बनने की राह पर है। पिता फरहान अख्तर चाहते हैं कि सरकार या कोई स्वयंसेवी संस्था अहमद को कामयाब बनाने के लिए उनका साथ दें तो अहमद अपनी मंजिल को पा सकता ह
https://youtu.be/oS3vW7r-ifg
माता-पिता ने अहमद रजा ,को खुदा की नेमत मानकर परवरिश की, नारायण सेवा संस्था उदयपुर से विकृत पैरों का उपचार करवा उन्हें कुछ सीधा करवाया। सोशल मीडिया पर दिव्यांगों के साहसिक कारनामों के वीडियो देखकर हिम्मत बंधी। अहमद रजा की शुरूसे ही डांस में रुचि थी। सो उन्होंने अहमद रजा का करियर डांसिंग के क्षेत्र में बनाने का फैसला किया । अपने बेटे अहमद रजा को कामयाब बनाने के लिए फरहान अपना काम छोड़कर मकराना से कुचामन सिटी रोजाना आते हैं ताकि वह डांस क्लासेस के जरिए अपने आप को निखार सके । पिता फरहान की तरह अहमद रजा भी बुलंद हौसला रखता है उसका कहना है कि वह एक कामयाब डांसर बनने का लक्ष्य रखता है
अहमद रजा को कुचामन का एडी ग्रुप ऑफ डांस इंस्टिट्यूट ,डांस का प्रशिक्षण दे रहा है। उसके पिता रोजाना उसे मकराना से 27 किलोमीटर दूर कुचामन लाते है । डांस प्रशिक्षक आशीष रावल और निर्मल चौहान,अहमद रजा को विभिन्न तरह के डांस का प्रशिक्षण दे रहे है । डांस गुरु आशीष रावल बताते हैं कि जब अहमद रजा शुरू में उनके पास आया था तो उसके हाथ नही होने के साथ पैरों में विकृति को देखकर उन्हें एक बार लगा था कि कुछ मुश्किल आ सकती है लेकिन उन्होंने जब अहमद रजा को सिखाना शुरू किया तो अहमद ने तमम्म बाधाओं को पार करते हुए डांस के हर एक स्टेप को आसानी से सीखना शुरू कर दिया । रजा किसी भी चीज को बहुत जल्दी से सीख लेता है। यह उसकी खूबी है।अहमद रजा अब डांस कला में इतना पारंगत होने लगा है कि पिछले दिनों अखिल भारतीय स्तर के एक ऑनलाइन डांस कंपटीशन में उसने अपने गुरु निर्मल चौहान के साथ पार्टनर बन, हिस्सा लिया और परिणाम के रूप में पूरे भारत में दूसरा स्थान हासिल किया था। आशीष रावल आत्मविश्वास से लबरेज होकर कहते हैं की अहमद रजा एक दिन अपनी कला के जरिए दुनिया में नाम रोशन करेगा
दिव्यांगता के साथ जीना और जीवन की सभी कठिनाइयों का सामना करना सबके लिए आसान नहीं है। लेकिन अहमद रजा के साथ ऐसा नहीं है । वो अपना भविष्य खुद लिखते हुए कामयाबी की राह पर आगे बढ़ता जा रहा है और इस सफर को उसके पिता फरहान गैसावत और डांस गुरु आशीष रावल कदम कदम पर उसका साथ निभा रहे हैं। जरूरत इस बात की है कि सरकार या कोई सामाजिक संस्था अहमद रजा को सपोर्ट करें ताकि उसको अपना भविष्य बनाने में कोई आर्थिक परेशानी ना आ सके