
बीकानेर,स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के कृषि अनुसंधान केन्द्र में बुधवार को मासिक तकनीकी कार्यशाला आयोजित की गई। अतिरिक्त निदेशक कृषि त्रिलोक कुमार जोशी ने बताया कि जिले में उद्यानिकी गतिविधियों के क्रियान्वयन की व्यापक सम्भावनाएं है। उद्यानिकी अधिकारी उद्यान विभाग की विभिन्न योजनाओं का लाभ किसानों को प्राथमिकता से दिया जाना सुनिश्चित करें। जिले में फल बगीचा व सब्जी उत्पादन संभावना को ध्यान में रखते हुए अनार, खजूर फल बगीचा स्थापना से देय अनुदान से कृषक को लाभान्वित किया जाना अधिकारियों की प्राथमिकता हो। क्षेत्रीय अनुसंधान निदेशक डॉ एच एल देशवाल ने कहा कि अनुसंधान का लाभ क्षेत्र के किसानों को मिले इसके लिए समन्वित प्रयास किए जाएंगे।
मासिक तकनीकी कार्यशाला में खण्ड बीकानेर के कृषि, उद्यानिकी, आत्मा के वरिष्ठ अधिकारियों व विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने भाग लिया। मासिक तकनीकी कार्यशाला में माह जुलाई में की गए कृषि क्रियाओं की प्रगति पर समीक्षा की गई। आगामी माह अगस्त में कृषकों द्वारा की जाने वाली कृषि व उद्यानिकी तकनीकी पर विस्तार से चर्चा की गई। कृषि वैज्ञानिक प्रो. अमर सिंह गोदारा, डॉ बीडीएस नाथावत, डॉ राजेन्द्र राठौड़ ने विभिन्न खरीफ फसल प्रबन्धन कीट व व्याधि प्रबन्धन व पैकेज आफ प्रेक्टसेज खरीफ पर विस्तार से चर्चा की। मौसम में उतार-चढाव के कारण व अधिक तापमान व वातावरणीय नमी की अनुकूलता के कारण खरीफ फसलों में कीट व्याधि प्रकोप की सम्भावना रहती है। आर्थिक हानि स्तर से अधिक प्रकोप होने पर फसल उत्पादन में नुकसान की सम्भावना रहती है। विश्वविद्यालय वैज्ञानिकों द्वारा विभिन्न खरीफ फसलों में कीट व्याधि नियंत्रण के विभिन्न उपायों के बारे में विस्तार से बताया गया। लोह तत्व की कमी के कारण खरीफ फसलों में पीलापन की समस्या के लिए फेरस सल्फेट 5 प्रतिशत व 1 प्रतिशत सिट्रिक अम्ल का 500 लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करने की सलाह दी गई। कार्यशाला में कृषि विभागीय अधिकारी संयुक्त निदेशक कैलाश चौधरी, डॉ दयाशंकर शर्मा, उपनिदेशक जयदीप दोगने, धर्मवीर डूडी, रेणू वर्मा, सहायक निदेशक उद्यान मुकेश गहलोत, भैराराम गोदारा, राजूराम डोगीवाल, सुभाष विश्नोई, प्रदीप चौधरी, राजेश गोदारा, कुलदीप शर्मा, सुरेन्द्र मारू, कृषि अधिकारी ममता, गिरीराज चारण, सोमेश तंवर, मेघराज, जोधराज, मीनाक्षी, कविता इत्यादि ने भाग लिया।