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बीकानेर,रानी बाजार स्थित सुराणा स्वाध्याय भवन से विहार कर सादुलगंज स्थित बांठिया परीसर में पहुंचे श्री शान्त क्रान्ति जैन श्रावक संघ के 1008 आचार्य श्री विजयराज जी म.सा. ने अपने प्रवचन में  उठो नर – नारियों जागो, जगाने संत आए हैं, धर्म – उपदेश यह प्यारा, सुनाने संत आए हैं।  का सदेंश देते हुए श्रावक- श्राविकाओं से संसार को घटाने की बात कही। महाराज साहब ने फरमाया कि संसार को घटाने का अभिप्राय जैन आगम के अनुसार पाप, परिग्रह, लोभ-लालच, झूठ, चौरी,  सहित उन अठारह पापों से है, जिनका राग करके मनुष्य संसार के जन्म-मरण के चक्र को बढ़ाता रहता है और जन्म-मरण के चक्कर से कभी मुक्त नहीं होता।
आचार्य श्री ने कहा कि संसारियों के बीच अगर संत आते हैं, बैठते हैं, तो क्यों और किसलिए बैठते हैं…?, केवल मात्र इसलिए कि आपका संसार घटाने की क्रिया कर सकें, साधु-संत तो अपना जीवन घटाने में ही लगे रहते हैं। लेकिन, साथ ही आप संसारी लोगों को भी यही सलाह देते हैं। और आज की सलाह भी यही है कि आप अपनी विषय-वासनाओं की रूचि को घटाओ। धार्मिकता में सुस्ती नहीं चुस्ती रखो, धर्म में श्रद्धा और आस्था रखो।
त्याग- पच्चकान करवाए, संत दर्शन का लाभ लिया
श्री शान्त क्रान्ति जैन श्रावक संघ के अध्यक्ष विजयकुमार लोढ़ा ने बताया कि शुक्रवार को सादुलगंज के पुखराज बांठिया, मंजू बाई बांठिया परीसर में आचार्य श्री विहार कर पहुंचे। जहां सुबह प्रवचन के बाद श्रावक-श्राविकाओं को त्याग और उपवास के पच्चकान करवाए। इस अवसर पर मेहताब सेठिया, गुड्डीबाई सेठिया की ओर से गौतम प्रसादी का आयोजन किया गया। अध्यक्ष विजयकुमार लोढ़ा ने बताया कि बाहर से पधारने वालों के लिए शनिवार को भी यह व्यवस्था रहेगी।

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