जयपुर,रीट के बाद पटवारी भर्ती परीक्षा को लेकर विवाद शुरू हो गया है आरोप है कि सही प्रक्रिया से नॉर्मलाइजेशन किए बिना पटवारी भर्ती परीक्षा का रिजल्ट राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने 25 जनवरी को जारी कर दिया। इससे परीक्षा में बैठे 10 लाख से ज्यादा कैंडिडेट के भविष्य पर संकट खड़ा हो गया है। हंगामा बढ़ा और पटवारी कैंडिडेट ने विरोध किया तो अब नॉर्मलाइजेशन के रिव्यू के लिए एक्सपर्ट कमेटी के पास विचार रखने का आदेश निकाला है। जबकि कर्मचारी चयन बोर्ड ने 27 और 28 अक्टूबर को हुई पटवारी परीक्षा के बाद नॉर्मलाइजेशन का प्रॉपर प्रोसेस शुरू करने की बात कही थी। लेकिन आरोप है कि बिना सही प्रक्रिया अपनाए रिजल्ट डिक्लेयर कर दिया गया। मेरिट लिस्ट भी नहीं निकाली गई। स्केलिंग फॉर्मूले समेत कई पॉइंट्स पर विवाद खड़ा हो गया है। सवाल यह भी है कि कैंडिडेट को कैसे पता चलेगा कि वो मेरिट में किस नम्बर पर है
पटवारी परीक्षा में बड़े लेवल पर हुई धांधली-डॉ किरोड़ीलाल
बीजेपी के राज्यसभा सांसद डॉ किरोड़ीलाल मीणा ने पटवारी परीक्षा में बड़े लेवल पर धांधली होने के आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि करवा चौथ से एक दिन पहले महिला अभ्यर्थियों की परीक्षा हुई थी। इसमें A, B, C नाम के पुरुष अभ्यर्थियों के बाद सीधे M नाम के अभ्यर्थियों को शामिल किया गया। उन्होंने सवाल खड़े किए हैं कि क्या ऐसा अपने चहेतों का चयन करने के लिए किया गया । पटवारी परीक्षा के परिणाम पर अभ्यर्थियों की आपत्ति के बाद कर्मचारी चयन बोर्ड ने इसे नॉर्मलाइजेशन कमेटी के सामने विचार के लिए रखने का फैसला किया है। यानी बोर्ड ने बिना नॉर्मलाइजेशन कमेटी की हरी झंडी के परिणाम जारी किया है। ऐसा करने के पीछे बोर्ड का क्या मकसद रहा?
डॉ. किरोड़ीलाल ने आरोप लगाया है कि कि बोर्ड ने स्कैलिंग के नाम पर पटवारी परीक्षा में भारी धांधली की है। परीक्षा 4 चरणों में हुई थी। पहले 3 चरणों के मुकाबले अधिक प्रश्न सही करने के बावजूद चौथी पारी के बहुत कम अभ्यर्थी पास हुए हैं। पटवारी परीक्षा का सिलेबस एक था और पेपर बनाने वाली एजेंसी भी एक ही थी। फिर प्रश्न-पत्रों का स्तर एक जैसा होने की बजाय अलग-अलग क्यों था। क्या ऐसा स्कैलिंग की आड़ में अपनों को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया है
*क्या होता है नॉर्मलाइजेशन*
नॉर्मलाइजेशन का मतलब सामान्यीकरण या अलग-अलग पेपर का लेवल सामान्य करना होता है। यह हर उस एग्जाम में करना होता है, जिसमें एक से ज्यादा चरण होते हैं। इसमें प्रिंसिपली नॉर्मलाइजेशन करवाया जाता है। यानी चारों चरणों में हुई परीक्षा के प्रश्न पत्रों की कठिनता के स्तर का पता लगाकर यह पता करना था कि कौन से चरण के पेपर कठिन और कौन से चरण के पेपर सरल रहे। इसके बाद चारों चरणों के क्वेश्चन पेपर का नॉर्मलाइजेशन करते हुए रिजल्ट जारी किया जाता है। इसमें गणित के फॉर्मूले इस्तेमाल किए जाते हैं अलग-अलग चरणों का माध्य निकाला जाता है। कैंडिडेट्स के जिस शिफ्ट में कम नम्बर आए उनके 75 नम्बर भी 100 हो सकते हैं। जबकि जिस शिफ्ट में पेपर सरल रहा और 100 नम्बर कैंडिडेट के आए इसके उलट उनके 75 नम्बर किए जा सकते हैं…