बीकानेर,जयपुर,झुंझुंनू.राजस्थान में डॉक्टरों ने एक जिंदा व्यक्ति को मृत बता दिया। अंतिम संस्कार के समय व्यक्ति के जिंदा होने का मालूम चला। उसके बाद व्यक्ति को वापस अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन अब उस रोहिताश की फिर से मौत होने का मामला सामने आया है। मामला झुंझुंनू का है। लेकिन कल देर रात को जब रोहिताश की तबीयत बिगड़ी तो उसे जयपुर के लिए रैफर किया गया। आज अलसुबह इमरजेंसी में लाने पर डॉक्टरोंं ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद शव को एसएमएस अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया गया है। अब मृतक का पोस्टमार्टम किया जाएगा। इससे पहले कल झुंझुनूं में श्मशान घाट में चिता पर लेटा रोहिताश जिंदा हो गया था। उसका शरीर हिलने लगा और सांसें चलने लगी। इस पर तुरंत एंबुलेंस बुलाकर उसे वापस जिला अस्पताल पहुंचाया गया। जहां उसे इलाज के लिए आईसीयू में भर्ती कराया गया। इस मामले में जिला कलेक्टर रामावतार मीणा ने बीडीके हॉस्पिटल के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी सहित 3 डॉक्टर्स को निलंबित कर दिया है।
दरअसल झुंझुनू जिला मुख्यालय स्थित बीडीके अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा एक जिंदा व्यक्ति को मृत बताकर उसका पोस्टमार्टम करवाने के बाद उसके वापस जिंदा होने का मामला सामने आने के बाद चिकित्सा विभाग ने अस्पताल की चिकित्सकों की घोर लापरवाही मानते हुए देर रात को बीडीके अस्पताल के पीएमओ डॉक्टर संदीप पचार, चिकित्सा अधिकारी मेडिसिन डॉ. योगेश जाखड़,और डॉ. नवनीत मील को निलंबित कर दिया है. वहीं, इस संबंध में जिला कलेक्टर द्वारा गठित कमेटी की तथ्यात्मक रिपोर्ट भी सामने आई है, जिसमें साफ लिखा गया है कि बगड़ के मां सेवा संस्थान में रह रहे मूक बधिर युवक रोहिताश को गुरुवार को 1 बज कर 30 मिनिट पर बीडीके अस्पताल लाया गया. जहां पर सीपीआर देने और फ्लैट ईसीजी आने पर चिकित्सकों ने रोहिताश को मृत घोषित कर मोर्चरी में शिफ्ट करवा दिया और पोस्टमार्टम और पंचनामा की कार्यवाही कर शाम 5 बजकर 5 मिनट पर शव को अंतिम संस्कार के लिए सुपुर्द कर दिया गया. बाद में शाम 6 बज कर 24 मिनिट पर रोहिताश को वापस बीडीके अस्पताल लाया गया, जहां पर उसे आईसीयू में शिफ्ट किया गया. यही नहीं चिकित्सकों द्वारा बरती गई इस घोर लापरवाही के बाद अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी सामने आई है, जिसमें चिकित्सकों ने रोहिताश की मृत्यु के कारणों का भी उल्लेख किया है. यही नहीं जिला कलेक्टर रामावतार मीणा ने बताया कि इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी अस्पताल के पीएमओ द्वारा उन्हें सूचना नहीं दी गई और उन्हें सारे मामले की जानकारी पुलिस अधीक्षक द्वारा लगी.