
बीकानेर,अजमेर। सोमवार को संयुक्त अभिभावक संघ राजस्थान प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू के नेतृत्व में अभिभावक अजमेर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय पर अजमेर के अभिभावक बड़ी संख्या ने एकत्रित हुए और राइट टू एजुकेशन (आरटीई) अधिनियम के तहत राजस्थान सरकार और शिक्षा विभाग द्वारा चयनित विद्यार्थियों के दाखिल नहीं होने से आक्रोशित अभिभावकों ने कार्यालय के बाहर ना केवल प्रदर्शन किया बल्कि जिला शिक्षा अधिकारी के नाम एडीईओ को ज्ञापन देकर विद्यार्थियों के अगले 7 दिनों में दाखिला देने की मांग की साथ ही दाखिला नहीं होनी की स्थिति में अभिभावकों और विद्यार्थियों के धरना और आमरण अनशन पर बैठने तक की चेतावनी तक दे डाली है। अभी तक आरटीई में चल रहे विवाद को लेकर राजधानी जयपुर में ही अभिभावक सड़कों पर उतरे हुए थे किंतु अब अजमेर का अभिभावक भी खुलकर सड़कों पर उतरने के लिए तैयार हो गया। सोमवार को अजमेर जिला शिक्षा कार्यालय पर हुए प्रदर्शन में जयपुर से संयुक्त अभिभावक संघ राजस्थान प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू भी शामिल हुए और अभिभावकों एवं शिक्षा अधिकारियों से संवाद स्थापित किया। इस दौरान उनके साथ अजमेर के अभिभावक राजवीर सिंह, दिनेश ठाडा, आशीष टांक, शैलेंद्र सिंह सहित काफी संख्या में अभिभावक जुटे।
मीडिया से वार्तालाप करते हुए अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि आरटीई में स्कूल और सरकार की आपसी लड़ाई चल रही है और शिकार अभिभावक एवं विद्यार्थी हो रहे है, मार्च 2025 में राज्य सरकार ने विज्ञप्ति निकाल अभिभावकों से आरटीई में आवेदन मांगे जिस पर पूरे प्रदेश से कुल 3.08 लाख आवेदन सरकार तक पहुंचे, 09 अप्रेल 2025 को जयपुर के शिक्षा संकुल परिसर में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने विभाग के उच्च अधिकारियों की उपस्थिति ने पूरे प्रदेश के 80 हजार विद्यार्थियों का लॉटरी सिस्टम के माध्यम से चयन कर दाखिला सुनिश्चित करवाया था, उसके बाद से आजतक अभिभावक अपने बच्चों को मिले अधिकारों को प्राप्त करने के लिए शिक्षा विभाग और अधिकारियों के ठोकरें खा रहे, शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारी खानापूर्ति के लिए आदेश तो निकाल रहे है किंतु स्वयं अपने दिए आदेश की पालना तक नहीं करवा रहे है। सोमवार को एडीईओ को दिए ज्ञापन में यही मांग की गई थी कि जी आदेश शिक्षा विभाग निकाल रहा है कम से कम विभाग अपने स्वयं के आदेश की पालना सुनिश्चित करवाएं। अगले सात दिनों में अभिभावकों राहत नहीं मिलती है, विद्यार्थियों का दाखिला नहीं मिलता और पढ़ाई शुरू नहीं होती है तो अजमेर के अभिभावक अब सड़कों से दूर नहीं रहेंगे और धरना देने, आमरण अनशन करने पर मजबूर हो जाएंगे।