बीकानेर।बीकानेर सादुलगंज पॉलिटेक्निक कॉलेज के सामने स्थित आयुष्मान हार्ट केयर सेंटर में 7 दिन पहले सरदार शहर की रहने वाली गंगा देवी नाम की 65 वर्षीय महिला मरीज जिसे पिछले 5 दिनों से छाती में दर्द था मरीज के परिजन सामान्य गैस का दर्द समझ रहे थे जब 5 दिनों बाद मरीज की स्थिति बिगड़ने लगी तो मरीज को सरदारशहर से बीकानेर लेकर पहुंचे जहां कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर बी. एल. स्वामी ने ecg कराई जिसमें हार्टअटैक के परिवर्तन दिखाई दिए फिर तुरंत 5 मिनट बाद में एंजियोग्राफी करी गई तो हार्ट की एक नस में 100% ब्लॉक था। जिसे तुरंत थ्रम्बोर्सेक्शन सक्शन करके खून का थक्का हटाकर फिर एक स्टंट लगा दिया। हार्ट की नस में खून का प्रवाह चालू हो गया छाती के दर्द में तुरंत आराम आ गया परंतु मरीज के पांच दिन की देरी से अस्पताल पहुंचने के कारण हाथ की मांसपेशियों में डैमेज के कारण हुए मीटरल वाल्व में लीकेज के कारण धीरे-धीरे फेफड़ों में पानी भर गया जिससे मरीज को दूसरे दिन सांस में दिक्कत होने लगी एवं ऑक्सीजन लेवल नीचे आने लगा तभी सुबह डॉ रश्मि जैन जो कि एक वरिष्ठ क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट है उन्होंने तुरंत स्थिति को भांपते हुए मरीज की सांस की नली में ट्यूब डालकर पॉजिटिव प्रेशर वेल्टी नेशन दिया एवं साथ ही कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. बी. एल. स्वामी ने जुगलर वीन से हार्ट मैं सेंट्रल लाइन लगाकर दवाइयां सीधे हाथ के चेंबर में दी। जिससे मरीज के फेफड़ों में धीरे-धीरे पानी निकल गया साथ ही हार्ड का वॉल भी काफी हद तक अब ठीक हो गया जिससे 2 दिन बाद डॉक्टर ने मरीज की सांस की नली से ट्यूब बाहर निकाल दी इस तरह से डॉ. बी .एल स्वामी ने बताया कि ऐसे मरीज का वेंटीलेटर पर जाकर बचाना एक चमत्कार से कम नहीं है इससे इस मरीज को पुनहे जीवन दान मिला है।पूछने पर डॉ. बी. एल. स्वामी ने बताया कि इससे उच्च गुणवत्ता के आईसीयू उपकरण का भी काफी रोल रहता है इस हार्ट सेंटर पर जो आईसीयू है उसका नाम कोरोनरी केयर यूनिट है जिससे ई.टी.सी ओ. टू एवम ऑटोमेटिक कार्डियोवरर्न (ऐ.ई. डी.) जो कि स्वयं कार्डियो वर्जन करता है। एवं अन्य इंटेंसिव मॉनिटरिंग के उपकरण जो कि जापान और अमेरिका से इंपोर्ट किए गए हैं। जो आज तक बीकानेर में उपलब्ध नहीं थे। इस सेंटर की अनुभवी कार्डियक टीम ने पिछले 1 साल से सभी गंभीर हार्ट अटैक के मरीज का इलाज प्राय गोल्डन विंडो पीरियड 120 मिनट के समय में तुरंत प्राइमरी एनजीओ प्लास्टिक से कर रही है। इस टीम ने अब तक 300 से अधिक आर्ट अटैक के मरीजों को नया जीवन दान दिया है अन्यथा इस तरह के गंभीर हॉट अटैक मरीज को बचाना बहुत ही मुश्किल कार्य होता है साथ ही ऐसे मरीजों को जयपुर एव दिल्ली ले जाते वक्त रास्ते में जो हॉट डैमेज एवं ट्रांसपोर्टेशन मैं जो मौतें होती थी उनमें भी काफी कमी आई है डॉ स्वामी ने बताया कि अब बीकानेर में देश के सर्वोत्तम कार्डियो संस्थानों मैं जो संसाधन नहीं है वह भी अब बीकानेर में गंभीर हार्ड अटैक के मरीज को बचाने के लिए इस सेंटर पर उपलब्ध है।