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जयपुर:सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सोमवार को अहम बैठक करते हुए देश के 6 हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए कुल 33 नामों की सिफारिश केन्द्र सरकार को की हैं. कॉलेजियम की इस बैठक को लेकर राजस्थान की उम्मीदें अधूरी रही हैं. ना ही राजस्थान हाईकोर्ट के लिए जजों के नाम की सिफारिश की गयी और ना ही नए मुख्य न्यायाधीश को लेकर ही बैठक में कोई निर्णय हुआ हैं.

1 जुलाई 2022 को राजस्थान हाईकोर्ट में 60 लाख से अधिक केस पेडिंग थे और ये संख्या लगातार बढती जा रही हैं. राजस्थान हाईकोर्ट वर्तमान में जजों की कमी से जुझ रहा हैं. इस हाईकोर्ट में स्वीकृत जजों के 50 पदों पर कुल 28 जज ही कार्यरत हैं. अगले 5 माह में ही राजस्थान हाईकोर्ट से 3 और जज सेवानिवृत हो जायेंगे.

एक सप्ताह बाद 1 अगस्त को ही राजस्थान के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एस एस शिंदे भी सेवानिवृत हो रहे हैं, जिसके बाद राजस्थान हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश का पद भी रिक्त हो जायेगा. जस्टिस रामेश्वर व्यास 10 सितंबर और जस्टिस प्रकाश गुप्ता 10 नवंबर को सेवानिवृत हो जायेंगे. नवंबर तक एक बार फिर से राजस्थान हाईकोर्ट में जजों की संख्या 50 प्रतिशत रह जायेगी.

सोमवार को हुए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की बैठक में सिर्फ हाईकोर्ट जजों की नियुक्ति पर चर्चा हुई. लेकिन राजस्थान के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति को लेकर कोई निर्णय नहीं हुआ हैं. इसके चलते फिलहाल राजस्थान हाईकोर्ट के सीनियर मोस्ट जज जस्टिस एम एम श्रीवास्तव को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया जा सकता हैं.

करना पड़ सकता है इंतजार

परंपरा के अनुसार सेवा के आखिरी महीने में मुख्य न्यायाधीश नई नियुक्तियां नहीं कर सकते. इसे लेकर कोई नियम नहीं बना हुआ है लेकिन नैतिक रूप से अधिकांश सीजेआई इस परंपरा का निर्वाहन करते आए है. अगले माह 26 अगस्त को मौजूदा मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रमन्ना सेवानिवृत हो रहे हैं. इसके चलते सोमवार 25 जुलाई को हुए कॉलेजियम को इस कॉलेजियम की अंतिम बैठक माना जा रहा हैं.

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के तीसरे सदस्य के रूप में मौजुद जस्टिस ए एम खानविलकर भी 29 जुलाई को सेवानिवृत हो रहे हैं. जस्टिस खानविलकर की सेवानिवृति के बाद कॉलेजियम में जस्टिस डी वाई चन्द्रचुड़ शामिल होंगे. देश की ज्यूडिशरी में जस्टिस चन्द्रचुड़ की छवी एक सख्त जज के रूप में जानी जाती हैं.

सीजेआई रमन्ना की सेवानिवृति के बाद 27 अगस्त को जस्टिस यू यू ललित देश के अगले मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे. जस्टिस ललित के मुख्य न्यायाधीश की शपथ लेने के बाद ही राजस्थान हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर स्थिति स्पष्ट हो सकेगी, तब तक फिलहाल नए जजों के लिए इंतजार ही करना होगा.

आखिर कहां अटक गई फाइल

राजस्थान हाईकोर्ट में जजों के रिक्त पदों को भरने के लिए तत्कालीन चीफ जस्टिस अकील कुरैशी की अध्यक्षता में 10—11 फरवरी 2022 को हाईकोर्ट कॉलेजियम ने 16 नए नाम की सिफारिश की थी. राजस्थान हाईकोर्ट कॉलेजियम द्वारा भेजे गये इन नामों को लेकर पहले से ही संशय बना हुआ था, लेकिन केन्द्र के पास फाइल पहुंचने के बाद एडवोकेट कोटे के कई नामों पर रजामंदी नहीं बन पाने की खबरें आती रही. यहीं कारण है कि 6 माह बाद भी ये फाइल अभी तक केन्द्र सरकार के पास जांच के लिए लंबित हैं.

हाईकोर्ट कॉलेजियम द्वारा भेजे गये नाम में एडवोकेट कोटे से अनिल उपमन, राजेश महर्षि, सुनिल समदड़िया, अंगद मिर्धा, नुपूर भाटी, संदीप शाह, संजय नाहर और मेनारिया का नाम शामिल हैं. वही न्यायिक अधिकारियों में डीजे राजेन्द्र सोनी, डीजे अशोक जैन, डीजे एस पी काकड़ा, डीजे योगेन्द्र पुरोहित, डीजे भुवन गोयल, डीजे प्रवीर भटनागर, डीजे मदनलाल भाटी और आशुतोष मिश्रा के नाम शामिल हैं.

एडवोकेट कोटे से भेजे गये नामों में से दो एडवोकेट वर्तमान में कांग्रेसनीत गहलोत सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता हैं. उनमें से एक एडवोकेट राजस्थान के ​दिग्गज कांग्रेस परिवार से ताल्लुक रखते हैं. हाईकोर्ट द्वारा भेजे गये इन नामों में से तीन एडवोकेट के वर्तमान सिटिंग जजो के निकट रिश्तेदार बताये जाते हैं.

जस्टिस अकील कुरैशी…!

देश में सबसे वरिष्ठ मुख्य न्यायाधीश होने के बावजूद, जस्टिस कुरैशी को सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त नहीं करने को लेकर कई चर्चाए रहीं थी. ये भी कि गुजरात हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान सत्तारूढ़ दल के खिलाफ जस्टिस अकील कुरैशी द्वारा कुछ आदेशों के पारित होने के कारण केंद्र सरकार उनके पक्ष में नहीं थीं.

चर्चाओं के बावजूद केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश को स्वीकार करते हुए जस्टिस अकील कुरैशी को त्रिपुरा से राजस्थान हाईकोर्ट में पदोन्नति को मंजूर किया. जस्टिस कुरैशी 5 मार्च 2022 को राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पद से सेवानिवृत हो गये. उनकी सेवानिवृति पर आयोजित रेफरेंस में उनके द्वारा दिये गये भाषण की भी खूब चर्चा रही.

पहले से ही बनी धारणाओं ने इन चर्चाओं को बल दिया कि राजस्थान कॉलेजियम द्वारा भेजे गये नाम में मेरिट का ख्याल नहीं रखा गया. सूत्रों के अनुसार बैठक में जिन नामों पर चर्चा कि जानी थी उन नामों को लेकर कॉलेजियम के ​साथ ही शिकायतें भी शुरू हो गयी. खास तौर से एक ही पार्टी से जुड़े अधिकांश अधिवक्ताओं के नाम, मुख्य न्यायाधीश के निजी सचिव के रिश्तेदार और साथी कॉमरेड के अधिवक्ता पुत्र को लेकर कई अटकलें लगायी जाती रही. लेकिन ज्यूडिशरी में अटकलों पर आधारित खबरों को तवज्जो नहीं मिलती.

कभी भी नहीं भरे जा सके 100 प्रतिशत पद

केन्द्र सरकार द्वारा राजस्थान हाईकोर्ट में जजो के रूप में अंतिम नियुक्ति मई 2022 में एडवोकेट कुलदीप माथुर और डीजे शुभा मेहता के नाम की कि गयी थी. दोनों नाम की सिफारिश तत्कालिन चीफ जस्टिस इन्द्रजीत महंति की अध्यक्षता में 30 और 31 मई 2020 को की गयी थी. हाईकोर्ट द्वारा भेजी गयी सिफारिश के ठीक दो साल बाद इनकी नियुक्ति हो पायी. मई 2020 की सिफारिश में एडवोकेट कोटे से भेजे गये गणेश मीणा, मनीष शर्मा के नाम अब भी केन्द्र सरकार के पास पेडिंग है. गणेश मीणा राजस्थान की गहलोत सरकार में अतिरिक्त महाधिवक्ता हैं तो वही मनीष शर्मा राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर पीठ में प्रेक्टिसरत एडवोकेट हैं.

राजस्थान हाईकोर्ट जजों की नियुक्ति के मामले में कभी भी सफल नहीं रहा हैं. जजों के स्वीकृत पदों की संख्या लगातार बढती रही है. लेकिन कभी भी 100 प्रतिशत जज इस हाईकोर्ट में नियुक्त ही नहीं किये जा सके. राजस्थान हाईकोर्ट कॉलेजियम द्वारा कि गयी सिफारिशें भी अक्सर चर्चा का विषय बनी रही हैं. कभी रिश्तेदारों के नाम तो कभी कुछ वर्ग विशेष से जुड़े नामों की संख्या को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं.

जस्टिस अकील कुरैशी की अध्यक्षता में हुए कॉलेजियम द्वारा भेजे गये अधिवक्ता कोटे के नाम को लेकर राजस्थान की न्यायपालिका को ज्यादा उम्मीदें नज़र नही आती. सुत्रों के अनुसार यहीं कारण हैं की 6 माह बाद भी इनकी आंतरिक जांच के लिए फाइल सरकार के पास हैं. अभी तक हाईकोर्ट कॉलेजियम द्वारा भेजे गये नाम सुप्रीम कोर्ट कॉलेजिमय तक भी नहीं पहुंच पाये हैं. यही कारण हैं कि एक सवाल जो राजस्थान की न्यायपालिका के हर गलियारें में गूंज रहा है. क्या राजस्थान हाईकोर्ट को नए जजों के लिए लंबा इंतजार करना होगा!

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