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बीकानेर,बहुत पहले एक फ़िल्म एवीएम प्रोडक्शन की भाई- भाई आई थी उसका एक गाना दुनिया में सब चोर ही चोर-कोई छोटा चोर- कोई मोटा चोर-कोई पैसा चोर, कोई मुर्गी चोर,कोई दिल का चोर। इस दुनिया में सब चोर ही चोर। यह गाना उस समय खूब प्रचलित हुआ था। आज भी उतना सार्थक हैं जितना यह अपने समय में था। अब शायद ही कोई व्यक्ति आपको मिले जो चोर न हो। ऊपर से लेकर नीचे तक सब चोर ही चोर हैं। यहाँ चोरी से तात्पर्य भृष्टचार से भी हैं। घूसख़ोरी- रिश्वत- कामचौरी- कमीशन- दलाली- यह सब चोरी ही तो हैं। जहाँ जिसको जैसा अवसर मिला उसने हाथ मार लिया। अब देखो भृष्टाचार के कारण दिल्ली के मुख्य मन्त्री जेल में है। और भी कई ऊँचे ओहदे वाले जेल की सींखचों में बंद है। किस किस वर्ग पर हम लिखे चोरी तो हर कोई करता हैं  मसलन व्यापारी, जमाख़ोरी और मुनाफ़ाख़ोरी करता हैं। घी, तेल, मसालो में मिलावट करता है दूधवाला नक़ली दूध सिंथेकिट्स का बना कर बेचता है, नक़ली पनीर, नक़ली मावा, नक़ली मिठाई एक तरह से ग्राहकों की जेब पर डाका ही तो हैं। ओरिजनल कुछ रह ही नहीं गया है। साहित्यकार सोशल मीडिया पर से रचनाएँ चुराता है कवि कविता, शायर नज़्म बड़ी आसानी से लोग चुरा लेते है। चोर इतने शातिर है कि मरे हुवे व्यक्ति की थीसिज़- उपन्यास- को गूगल से लेकर नाम बदलकर उसे अपने नाम से करवा लेते है। साहित्य और थीजीस चोरों को सलाम। अब उनके नाम के आगे डाक्टर लिखा जाने लगाहै वैसे डाक्टर्स भी इस मामलो मी कही पीछे नहीं है दवाई में कमीशन, जाँचो में कमीशन मरीज़ की जेब पर डाका ही तो है। चोरी की बात चली हैं तो हम आपको बताये देते हैं कि जो सरकारी कर्मचारी तनख़्वाह पूरी लेते है और काम चोरी करते है वे भी कम चोर नहीं है। इन दिनों देश में दो और बड़े चोर पनप रहे है एक नक़ल माफिया और दूसरा भवन निर्माण- सड़क निर्माण- पुल निर्माण वर्ग। नक़ल माफिया ने तो परीक्षा पेपर चोरी कर देश के लाखों युवाओं का भविष्य चौपट कर ही दिया हैं और भवन निर्माण ठेकेदारों ने सीमेंट में मिट्टी मिलाकर, सड़को पर डाम्बर पोत कर टेंप्रेररी सड़के, पूल भवन बनाकर , निर्माण सामग्री में मिलावट कर विरासत से काफ़ी छेड़छाड़ की हैं। अभी अभी अयोध्या राम मन्दिर निर्माण हुआ ही था और बरसात में छत चुने लगी। दिल्ली के हवाई अड्डे की छत टूट कर गिर गई। कई व्यक्ति घायल हुए। हाल ही में बिहार में ११ दिनों में पाँच पुल टूट गये। कुछ समय पहले मुम्बई में अटल सेतु पुल की ५५ किलोमीटर सड़क धँस गई थी। कोलकत्ता में विवेकानन्द फ़्लाइओवर टूट गया था २७ लोग मरे थे। ऐसे ही गुजरात, केरल, हैदराबाद में कई पुल टूटे थे और कई लोग मरे थे। लेकिन इन ठेकेदारों को उनसे क्या लेना देना। ये तो नेताओ की मिलीभगत से पक्के चोर बने हुए हैं। अब बात करे शैतान से बने साधुओं की किस कदर अपने मायाजाल से सत्संग के नाम पर लोगो को लूट भी रहे है मार भी रहे है अभी हाल ही में हाथरस में सिपाई से भोले बाबा बने के सत्संग में भगदड़ मचने से १२८ लोग मर गए। अब बिहार में लगातार पुलो के टूटने पर—बीकानेर के परिप्रेक्ष्य में—आश्चर्य तब होता हैं जब महाराजाओ द्वारा बनाई गई गंग केनाल- जूनागढ़ का फ़ोर्ट- अस्पताल- कचहरी आज भी सही सलामत है। जबकि इन्द्रा गांधी नहर टूट फुट रही है अस्पताल के नये भवन जर्जर हो रहे है। सड़के ख़स्ताहाल में है। एक ही बरसात ने बीकानेर की पोल खोल दी। शहर का मुख्य द्वार कॉटगेट- लाबूजी कटला तो बारिश में हिल गया। कोई ज़िम्मेवार भी नहीं है। आख़िर हम और कितने नीचे गिरेगे ? अपने स्वार्थ के लिए कब तक लोगो को लूटते रहेंगे , उनकी जाने लेते रहेंगे कुछ तो शर्म करो।

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