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बीकानेर,आज अधिवक्ता परिषद राजस्थान बीकानेर ईकाई द्वारा स्वतंत्रता सेनानी पं.दाऊदयाल आचार्य
एडवोकेट के जन्म शताब्दी वर्ष एवम संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर आनंद निकेतन बीकानेर में विधिक संगोष्टि का आयोजन “संवैधानिक संस्थाओं का अवमूल्यन वर्तमान परिपेक्ष -रखा गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व न्यायाधिकारी माणक मोहता ने संविधान की प्रस्तावना को संविधान की आत्मा बतलाते हुए प्रस्तावना की व्याख्या पर प्रकाश डाला। संवैधानिक संस्थाओं का गठन, उद्देश्य उनकी क्रियाकलाप व संवैधानिक संस्थाओं के 20 प्रकारों व उनके अनुच्छेदों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संविधान कोडिफाइड है, विश्व का सर्वश्रेष्ट संविधान है संविधान में मौलिक अधिकार व मॉलिक कार्य निहित है। इस परिचर्चा में सिटिजन व व्यक्ति शब्द की महत्ता पर प्रकाश डाला।
श्री मोहता ने संवैधानिक संस्थाओं पर दबाव को अनुचित माना।
श्रीमोहता ने आचार्य जी के सानिध्य में रहकर राजस्व कानूनों की उनकी वकालत की तारिफ की। श्री मोहता ने इस अवसर पर पं. आचार्य पर लिखे स्मृतिग्रंथ के लेखक डॉ राजशेखर जी पुरोहित का सम्मान दिया गया।
इससे पुर्व अधिवक्ता राधेश्याम सेवक ने पं० दाऊदयाल आचार्य के जीवन परिचय व उनके स्वतंत्रता सेनानी काल में उनके द्वारा सहन की गयी यातनाओं व आदर्श अधिवक्ता के रूप में परिचय कराया। एडवोकेट सत्यपाल सिंह शेखावत ने संवैधानिक संस्थाओं पर आक्षेपों के उदाहरण प्रस्तुत कर आज के कार्यक्रम के विषय का परिचय करवाया।
कुलदीप शर्मा, बार काऊसिल सदस्य राजस्थान ने अधिवक्ता के अधिवक्ता के कर्तव्यों पर प्रकाश डालते हुए पं. दाऊदयाल आचार्य के आदर्श वकालत पर उद्हरण प्रस्तुत किये। पंडित आचार्य के ज्येष्ट पुत्र व वरिष्ठ अधिवक्ता ओम आचार्य ने गैरसरकारी संस्थाएं गैर संवैधानिक संस्थाओं व संवैधानिक संस्थाओं के गठन बार प्रकाश डाला सवैधानिक संस्थाओं के ऊपर आक्षेप को गैर लोकतांत्रिक बताया।
कार्यक्रम के अध्यक्ष बार एशोसियन बीकानेर के अध्यक्ष कमलनारायन पुरोहित व कार्यक्रम के सभापति मुमताज अली ने उपस्थित सभी आगन्तुकों का आभार व्यक्त कर अधिवक्ता परिषद द्वारा परिचर्चा की विषय वस्तु को राष्ट्रीय कार्यक्रम की संचालन अविनाश यास एडवोकेट ने किया।

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